भागलपुर/ निभाष मोदी
भागलपुर में गंगा ने फिर से कहर बरपाना शुरू कर दिया है। जैसे जैसे गंगा के पानी का जलस्तर घटता जा रहा है वैसे ही गंगा अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है, लोग तबाही के मंजर से गुजर रहे हैं, लोगों का हाल बेहाल है ,जिले के गंगा के तटवर्ती इलाके के सबौर प्रखंड के फरका पंचायत इंग्लिश गाँव में अचानक तेज कटाव शुरू हो गया है जिससे दर्जनों मकान गंगा में समा गए। हालात इतने भयावह है की जिनके मकान बचे हैं वो अब खुद से मकान तोड़कर घर के दरवाजे खिड़कियों को बचाने में जुटे हुए हैं। डर के साये में लोगों को रतजगा करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया की इस वर्ष जब बाढ़ आई तो इस दिशा में कटाव नहीं हुआ था अब जब जलस्तर पूरी तरह से घट चुका है तब धारा गाँव के तरफ आ गयी और कल से कटाव शुरू हो गया, उसके बाद अब तक कोई अधिकारी यहाँ नहीं आये न नेता विधायक पहुँचे हैं। खाने रहने पर आफत आ गया है।
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व मुखिया रामबरन यादव के घर से वार्ड 3 में करीब ढाई सौ फीट तक एकाएक कटाव हो गया, आनन-फानन में लोगों ने घर को खाली करना शुरू कर दिया, देखते ही देखते आधा दर्जन घरों का हिस्सा शौचालय व बरामदा कटकर गंगा में समा गए, गांव के ही उपेंद्र यादव, उमेश यादव, सिपाही यादव सहित अन्य लोगों के मकान के पीछे के हिस्से कटकर गंगा में समा गए जबकि 2 दर्जन मकान कटाव की चपेट में अभी भी हैं, गांव के लोगों ने बताया कि घटना की जानकारी हमलोगों ने सीओ वीडियो और स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन को दी है लेकिन अभी तक कोई भी यहां झांकने तक नहीं आए, हमलोगों के दुख दर्द को सुनने की बात तो दूर वह सांत्वना तक देने नहीं पहुंचे हैं।
बता दें कि बाढ़ राहत कार्य के तहत तीन महीना पूर्व हाथीपाव के सहारे जिओ बैक डालकर करीब 700 से 800 मीटर तक कटाव निरोधी कार्य करोड़ों रुपए की लागत से किया गया था, उस समय भी स्थानीय ग्रामीणों ने जियो बैग डालने का विरोध किया था, ग्रामीणों ने साफ तौर पर कहा की बाढ़ की चपेट में 700-800 स्क्वायर फीट काम करने से काम नहीं चलेगा यह गंगा की तेज धार में बह जाएगा परंतु अधिकारी नहीं माने, इस कार्य से संबंधित अधिकारियों ने ग्रामीणों की बात नहीं मानी और करोड़ों रुपए के जियो बैग इसमें लगवा दिए गए जो ढाई से 3 महीने के अंदर गंगा में समा गए, वहीं ग्रामीणों में काफी आक्रोश है और उनका कहना है हमलोगों को प्रशासन की ओर से सिर्फ सांत्वना मिलती है जमीनी स्तर पर कोई कार्य नहीं किया जाता, गांव के लोगों ने यह भी बताया कि हमारे गांव को बचाने का सरकार कोई उपाय निकालें नहीं तो हम सभी रोड पर आ जाएंगे। अगर फिर भी हमारी बातें नहीं मानी गई तो उग्र आंदोलन करूंगा और सड़क मार्ग रेल मार्ग को जाम कर अपना हक लेकर रहूंगा।