नवगछिया- नवगछिया का ऐतिहासिक तेतरी दुर्गा मंदिर उत्तर भारत का शक्तिपीठ माना जाता है. शोधकर्ताओं ने बताया है कि यहां शुंग काल से ही पूजा अर्चना की जाती है. हालांकि आज इसका कोई प्रमाण नहीं है. लेकिन इतिहासकारों की मानें तो 2500 वर्ष पहले एक समय तेतरी गांव और आस पास का भूभाग गंगा नदी का भाग हुआ करता था. आज जहां मंदिर है, वहां एक टापू नुमा स्थान था. कहा जा रहा है कि जल मार्ग से यात्रा करने के क्रम में एक राजा की नाव आंधी पानी के बीच फंस गयी. कई दिनों तक मौसम खराब रहने के कारण राजा को उसी टापू पर समय गुजरना पड़ा. उसी समय यहां के कुछ स्थानीय लोगों ने बताया था कि यह सिद्ध भूमि है और यहां पर वर्षों तक ब्रह्मर्षि विश्वामित्र ने तपस्या की थी.
यहां पर रह कर जो भी भगवत भक्ति करता है, उसकी मनोकामना और समस्त इच्छा जरूर पूर्ण होती है. राजा में वहीं पर देवी दुर्गा की आराधना कई दिनों तक किया और मौसम ठीक होने के बाद वे वहां से रवाना हुए. तभी से उक्त स्थल पर माता की आराधना की जाती है. कालांतर में नदी का भूभाग रहने के कारण उक्त स्थल छिन्न भिन्न हो गया. पूजा कमेटी के अध्यक्ष रमाकांत राय कहते है कि वर्षों पहले तेतरी के लोगों को स्वप्न आया था कि कलबलिया धार में एक मेढ़ बहकर आ रहा है उसे रखकर दुर्गा मैइया की प्रतिमा बनाकर पूजा-अर्चना करो. लोगों ने मेढ़ को उठाकर मंदिर वाले स्थान पर रख दिया और थकावट के कारण विश्राम करने लगे.
उसी समय खरीक के काजी करैया वाले अपना मेढ़ ढूंढते हुए आये और अपना मेढ़ उठाकर ले जाने लगे लेकिन मेढ़ तनिक भी नहीं हिला. उसके बाद मेढ़ वहीं स्थापित कर लोग मैया की पूजा-अर्चना करने लगे. लोगों ने मेढ़ को गांव के बीच मे रखकर मंदिर स्थापित करने का प्रयास किया लेकिन मेढ़ वहां से नहीं उठा. यहां एक भव्य प्रतिमा विराजमान है जिसका भक्त सालों भर पूजा करते हैं. कमेटी के अरुण राय, राजेन्द्र राय, मिथिलेश राय, बबलू चौधरी, टुनटुन मास्टर ने बताया कि मैया के दरबार मे कई राज्यों के लोग आकर मन्नत मांगते हैं.
मैइया के भक्त तरह तरह से करते है उपासना :
मैइया के भक्त मैया की तरह तरह से उपासना करते हैं कुछ भक्त आठ दिन तक मंदिर प्रांगण में सीने पर कलश रखकर भूखे प्यासे मैया की आराधना करते है. मन्दिर प्रांगण में दिन भर भक्त मैया का पाठ किया करते हैं.
प्रतिमा विसर्जन में जुटते हैं कई जिलों के लोग :
जयप्रकाश महंत, बबलू चौधरी ने बताया कि टिकापट्टी से कलाकार आकर प्रतिमा बनाते है वह 15 वर्षो से मैया की प्रतिमा बना रहे हैं. तेतरी दुर्गा मंदिर में स्थापित प्रतिमा का विसर्जन भी देखने लायक होती है आसपास के कई जिलों के श्रद्धालु विसर्जन में मैइया के दर्शन को आते हैं. विसर्जन में हजारों की भीड़ मैइया की प्रतिमा को कंधे पर लेकर ही प्रदक्षिणा कर कलवालिया नदी में विसर्जन करते हैं.
सात दिनों तक मानस कोकिला बिखेरती है अमृत गंगा:
तेतरी दुर्गा मंदिर में एक पूजा से सात पूजा तक महंत के नेतृत्व में मानस सत्संग सद्भावना महासत्संग का आयोजन हर साल किया जाता है. जिसमे झांसी की मानस माधुरी अखिलेश्वरी जी और आशुतोष मिश्रा अमृत गंगा बहाएंगे.