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बीरबन्ना ड्योढ़ी के क्षत्रिय परिवार ने मंदिर की स्थापना

बिहपुर – नवगछिया अनुमंडल बिहपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत भ्रमरपुर दुर्गा मंदिर 350 वर्ष पुराना है .इसे सिद्धपीठ मणिद्वीप के नाम से जाना जाता है.मंदिर पूजा कमेटी के अध्यक्ष डां हिमांशु मोहन मिश्र दीपक ने बताया कि जिस तरह भगवान श्रीराम का निवास स्थान साकेत है .श्री कृष्ण का गोलोक और भगवान शंकर का कैलाश है उसी प्रकार दुर्गा मैया का निवास स्थान मणिद्वीप में है .कहां जाता है कि भ्रमरपर दुर्गा मंदिर में मां अपने सहगामिनियों के साथ निरंतर निवास करती हैं . इसलिए भ्रमरपुर दुर्गा मंदिर साक्षात मणिद्वीप है .यहां महाशय ड्योढ़ी चंपानगर से प्रतिमा बनानेवाले कारोबार चार पीढ़ियां से प्रतिमा बना रहे हैं.यहां पंडित शशिकांत झा मां दुर्गा की पूजा कराते हैं.जबकि प्रधान पुजारी अभिमन्द स्वामी पूजन पर बैठते हैं .बिहार के कई जिलों के श्रद्धालु यहां आकर मन्नत मांगते हैं .

भगीरथ दत्ता झा के परिवार ने की थी स्थापना – बीरबन्ना के क्षत्रिय परिवार और भ्रमरपर के भगीरथ दत्ता झा के परिवार ने मंदिर की स्थापना की थी . यहां मंदिर 350 वर्ष पूर्व यहां बगल से गंगा नदी बहती थी .उस समय एक हजार ब्राह्मणों ने स्नान कर भींगे शरीर में गंगा की मिट्टी हाथ में लेकर दुर्गा मंदिर की जगह पर लाकर रखा और मिट्टी को मंत्र से अभिमंत्रित कर मां की प्राण प्रतिष्ठा की थी .

मन्नत पूरी होने पर बलि देने की है परंपरा – भ्रमरपर दुर्गा मंदिर में तांत्रिक पद्धति से बिस्तार पूर्वक नवरात्र की पूजा कि जाती है . जिसमें पूजन के बाद प्रतिदिन बलि पड़ती है .निशा पूजा के दिन देवी की प्राण प्रतिष्ठा होती है .नवमी को करीब 1500 बलि दी जाती है .यहां उत्तर और दक्षिण बिहार के कई जिलों के श्रद्धालु आकर मन्नत मांगते है और मन्नत पूरी होने पर बलि देते हैं .यहां बड़े स्तर पर मेले का आयोजन होता है. वहीं सभी ग्रामीणों सक्रिय रहते हैं .

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