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नवगछिया – गुरुवार को जिला वन पदाधिकारी भरतचिंता पल्ली के नेतृत्व में जगतपुर झील में आये पक्षियों और अन्य जीवो का सर्वे किया गया. इस अवसर पर 90 के वन क्षेत्र पदाधिकारी पृथ्वीनाथ सिंह, पक्षीविद अरविंद मिश्र, डॉ संजीत कुमार, जगतपुर मुखिया प्रतिनिधि प्रदीप यादव, वंरक्षी अमन कुमार और पूनम कुमारी के साथ जगतपुर गांव में बनाए गए इको विकास समिति के सदस्य भी मौजूद थे. डीएफओ भरतचिंता पल्ली ने कहा कि जैव विविधता गणना करने आये हैं. यहां पर वे लोग यह चिन्हित कर रहे हैं कि यहां पर किस तरह के पक्षी आते हैं. यहां आकर उन्हें काफी अच्छा लगता है. आज यहां पर कुछ नए प्रजाति के पक्षी मिले. नए प्रजाति की तितलियां मिली और नए कीड़े देखे गए, जिनमें एक नया व्याग्र पतंग प्रजाति का भी पक्षी देखा गया. आने वाले समय मे यहां जल कुंभी की समस्या दूर हो इसके लिये स्थानीय लोगों को सामने आना होगा. जल कुंभी से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती सकती है. दिसंबर में वे लोग फिर से सर्वे करेंगे ताकि उनलोगों को एक सटीक आंकड़ा का पता चले.उन्होंने कहा कि जगतपुर में ट्यूरिज्म की अपार संभावना है. लेकिन इससे पहले जल कुंभी को समाप्त करना होगा. अगर जल कुंभी समाप्त नहीं होता है तो निश्चित रूप से जगतपुर झील का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा.

मगरमच्छ और घड़ियाल का बढ़ जाना सामान्य और प्राकृतिक

मगरमच्छ और घड़ियाल गंगा नदी में बढ़ गए हैं. कुछ खबर आयी कि मगर ने काट लिया लेकिन जब जांच की गयी तो खबर झूठी है. उन्होंने कहा कि मगरमच्छ और घड़ियाल का गंगा में बढ़ना सामान्य और प्राकृतिक बात है. लेकिन लोगों को अभ्यारण से लोगों को बचने की जरूरत है. मगरमच्छ की संख्या में हो रही बढ़ोतरी का सकारात्म रूप में देखना चाहिये. एक सर्वे में पाया गया कि डॉल्फिन की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. इसका कारण गंगा में बड़े जालों का कम लगना है. यह अच्छी बात है. अगर डॉल्फिन की संख्या बढ़ रही है तो कई छोटे जीवों की संख्या में निःसंदेह बढ़ोतरी हुई होगी. डॉल्फिन की संख्या में बढ़ोतरी के साथ साथ डॉल्फिन के मरने की भी खबर आ रही है जो दुखद है. फिर भी स्थानीय लोगों की सहायता से डॉल्फिन को पूर्ण संरक्षित करने का प्रयास किया जायेगा. उन्होंने कहा कि गंगा में जाल न लगाएं, यह कानूनन अपराध है.

पक्षीविद अरविंद मिश्र ने कहा

पक्षी विद अरविंद मिश्र ने कहा कि जगतपुर के ग्रामीण ने जैव विविधता और झील को बचा कर रखा. यहां कई तरह के जीव हैं. यहां लोग झील में न जाएं, झील में प्लास्टिक कचरा न डालें. यहां ट्यूरिज्म के नाम पर लोगों की भीड़ जुटाने से यहां के अस्तित्व पर खतरा मंडरा सकता है. जगतपुर पर्यावरण की दृष्टिकोण से एक धरोहर है, सरकार को इसे संरक्षित करना चाहिये.

जगतपुर झील का पारिस्थिकी तंत्र काफी अनुकूल है

जगतपुर झील में मेहमान पक्षियों का आना शुरु हो गया है. अभी सात प्रवासी पक्षियों को देखा जा रहा है. ठंड गिरने के साथ ही कई तरह के पक्षी यहां पर आ जायेंगे. झील तो कई जगहों पर लेकिन यहां 165 प्रजाति के पक्षियों को देखा गया है. यहां पर शाकाहारी और मांसाहारी सभी प्रकार के पक्षियों को भोजन मिल रहा है. जबकि यहां के लोग भी पक्षी प्रेमी हैं. यहां पारिस्थिकी तंत्र काफी अनुकूल है.

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