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भागलपुर कहावत है हिम्मत और हौसले मनुष्य को नामुंकिन को भी मुमकिन कर दिखाता है जी हां मैं आपको एक आइसे नवयुवक की बात बता रहे है जो स्पीच ऑडियोलॉजी सहायक वाणी का सरकारी नौकरी को छोर आज के दिन मशरूम की खेती कर अपने घर से लेकर कई घरों को रोजगार मुहैया करा रहा है।इससे लगभग 15 परिवार का जीवन यापन होता है।वो भागलपुर के एक छोटे से गांव फतेहपुर के पासवान टोला का प्रीतम कुमार , नागेश्वर पासवान का पुत्र है।प्रीतम बताते है की हम ग्यारहमी पास करके 2010 में जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय से स्पीच एंड हियरिंग की पढ़ाई की 2012 में बिहार शिक्षा परियोजना सहरसा में असिस्टेंट स्पीच थियोरेपिस्ट कम ऑडियो लॉजिस्टिक (सहायक वाणी ) के पद पर नियुक्त हुए।

सरकारी कार्य और दवाब को देखकर 15 अगस्त 2016 को नौकरी से त्याग पत्र दे दिया।घर में बैठे बैठे सोचा की अपना ही कोई काम कर स्वरोजगार को अपनाया जाय एक माह बाद से ही अपने मामा के लड़का का सहयोग लेकर शुरुआती दौर में छोटे से खुद के घर में मशरूम का खेती करने की शुरुआत की हम आपको बता दे की यह एक आइसा फसल है जो सिर्फ व सिर्फ ठंड के छेत्र में ही किया जा सकता है लेकिन आज भागलपुर के जगदीशपुर प्रखंड छेत्र में 365 दिनो तक एक बीघा खेत में मशरूम की खेती कर अपने परिवार के साथ साथ कईयों के परिवार के जीविको पार्जन का सहारा बन चुका है।


पहले देश विदेश के लोग इस मिट्टी के कतरनी चुरा और चावल का ही स्वाद ले रहे थे लेकिन आज के समय में मशरूम का भी स्वाद चख रहे है साथ ही साथ यहां के मशरूम भागलपुर जिला के साथ कई अन्य शहरों कलकत्ता,सिल्लीगुड़ी तक के लोग स्वाद चख रहे है।किसान के द्वारा बताया गया यहां अभी तक सरकार या सरकार के किसी भी तरह का मदद नहीं मिली है। हमलोगों इस खेती में ज्यादा समस्या बिजली की आपूर्ति और उसका कमर्शियल बिल के चलते बहुत बड़ी समस्या आती है। इसमें हमारे पूरे अपने परिवार के साथ साथ अन्य कई परिवारों का जीविकोपार्जन का साधन बना हुआ है।

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