कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और छत्तीगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि बिहार में कांग्रेस समर्थित सरकार बनी तो किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून लाएंगे। बिहार में महागठबंधन के सभी साथी एकजुट हैं। सरकार नये कानूनों की मदद से किसानों के खेत को चहेती कंपनियों के हाथों गिरवी रखना चाहती है।
सदाकत आश्रम में गुरुवार को प्रेसवार्ता में प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा, विधायक दल के नेता सदानंद सिंह और अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश सिंह भी थे। नेताओं ने कहा कि देश में कोरोना, सीमा पर चीन और खेती पर मोदी सरकार हमलावर है। संसद में किसानों के हित की आवाज दबाई जा रही है और सड़क पर किसान पीटे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केन्द्र के तीनों कानून में ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ यानी एमएसपी की चर्चा तक नहीं है। सरकारों के मन में बेईमानी नहीं, कानून में ऐसा क्यों नहीं लिखती कि किसान को एमएसपी देना अनिवार्य है तथा उससे कम खरीद करने पर सरकार नुकसान की भरपाई करेगी और दोषी को सजा देगी। ऐसा प्रवधान कानून में हो जाए तो हम अपना आंदोलन वापस ले लेंगे।
उन्होंने कहा कि भाजपा-जदयू कसमें तो किसान की खाती हैं लेकिन दोस्ती पूंजीपतियों से निभाती हैं। 62 करोड़ किसान-मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। लेकिन सरकारें सब ऐतराज दरकिनार कर देश को बरगला रही हैं।
भाजपा और जदयू की सरकार ने बिहार में 2006 में एपीएमसी एक्ट खत्म कर अनाज मंडियों को खत्म कर दिया। आज बिहार के किसान बदहाल है। मोदी सरकार का दवा है कि नये कानून से किसान देश में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। उन्हें बताना चाहिए कि इस काननू के पहले कौन कानून उन्हें ऐसा करने से रोकता था। दरअसल उनकी मंशा ही गरीब और किसान विरोधी है। वह जानते हैं कि अगर सरकारी खरीद और न्यूनतम समर्थन मूल्य दोनों खत्म हो गए, तो राशन की दुकान पर मिलने वाला गरीब के लिए अनाज अपने आप खत्म हो जाएगा।