बाबा बासा पर रहते हैं. मवेशियों की देख भाल करते हैं. आस पास के बासा से कुल पांच लोगों को वोट करने लगभग तीन किलोमीटर दूर जाना था. सबों के लिये एक प्रत्याशी समर्थक ने एक टोटो का इंतजाम किया था. टोटो देखते ही बाबा बिदक गए. ठेला ल क एलौ छैं रा, कार्यकर्ता ने कहा टोटो छिकै बाबा, बाबा ने कहा, हां हां झलकै छै, जो कही दिहै फलनमा क, ठेला सब सें वोट दै ल नय जैबो’, भेजना छौ त उ गाड़ी भेज जै पर फलनमा चढ़े छौ, कार्यकर्ता ने कहा, बाबा आय उ गाड़ी खाली नय छै.
बाबा गुस्से में आ कर कहते हैं, सीधा निकल. यही वोटो सें तोरो नेता पांच साल बघबा बनी क घुमतौ, लेकिन कान खोली क सुनी ले, आय खना बघबा हम्में छिकियै, जो फलनमा वाला गाड़ी भेज, तबै जैबो’. पूरी कहानी का जिक्र करते हुए उक्त कार्यकर्ता ने प्रभात खबर को बताया कि एक लग्जरी वाहन से बाबा अपने पांच दोस्तों के साथ पहले यहां के एक अच्छे से रैस्टोरेंट में गए और मनचाहा भोजन किया फिर वे उसी वाहन से वोट देने पहुंचे, इसे वोट देकर निकलने के बाद कहतें हैं कि वोट तोरह देने छियौ, लेकिन अन्हरिया रहै, छाप सुझलो’ नय, कोन नंबर पर देलियै, बताबे नय पारबौ.