भागलपुर/ निभाष मोदी
भागलपुर के काजवलीचक में तीन मार्च की रात हुए जोरदार धमाके की चपेट में आए मृतकों के परिजनों व घायलों को मुआवजा देने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। मामले को लेकर 27 मई को एनजीटी ने मुआवजा दिए जाने की बात कही थी मृतकों के परिजनों को 20 लाख और घायलों को 10 लाख मुआवजा देने की बात हुई। जिला प्रशासन ने इस आदेश के विरुद्ध जाकर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी इसके बाद जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी को प्रोफॉर्मा पक्ष के रूप में लेते हुए प्रतिवादी की सूची से हटा दिया। वहीं मुआवजे पर रोक के बाद धमाके में मारे गए निर्दोषों के परिजन हताश है। हमले में दोषियों के घरों के साथ-साथ निर्दोषों के घर जमींदोज हुए और कई निर्दोष भी मारे गए। मृतक राजकुमार और राहुल के घर का आधा हिस्सा ध्वस्त हुआ था किसी तरह बांस के सहारे आधे हिस्से को बचाया गया है।
दोषीयों की संपत्ति बेच कर मुआवजा दे सरकार
परिजनों का कहना है कि हम लोग निर्दोष थे आदमी तो चला गया, घर भी गिर गया। अब घर भी नहीं बना पा रहे है। वहीं सरकार ने मुआवजा पर भी रोक लगा दी है। जो दोषी है उसकी संपत्ति जब्त कर सरकार से मुआवजा की मांग परिजन कर रहे हैं।
पीड़ित परिवार पर मुआवजा देने को लेकर सुप्रिम कोर्ट ने लगाई रोक
वहीं जिलाधिकारी सुब्रत सेन ने कहा कि मुआवजा का आदेश एनजीटी की ओर से दिया गया था। हमने इसके विरुद्ध राज्य सरकार को लिखा उसके बाद राज्य सरकार के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया। अभी मुआवजे पर रोक लगा दी गई है क्योंकि मामले की जांच चल रही है।
धमाका वाली भयावह रात
विदित हो कि 3 मार्च 2022 की रात कोतवाली थाना क्षेत्र के काजवलीचक में जोरदार धमाका हुआ था। धमाके में तीन घर जमींदोज हो गए थे दो घरों का आधा हिस्सा टूट कर गिर गया। जब मलबा हटाया गया तो एक के बाद एक दो दिनों तक 15 शव निकाले गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बम धमाके मामले की जांच का दिया था आदेश
धमाके की गूंज दिल्ली तक गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मामले पर ट्वीट कर जांच की बात कही थी। कई दलों के नेता मृतक के परिजनों से मिले लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। वहीं इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई की गई। भारी मात्रा में घटनास्थल से बारूद भी बरामद हुआ था। कई तरह की जांच शुरू हुई ,एटीएस ने भी जांच शुरू की, पुलिस प्रशासन ने एसआईटी का भी गठन किया लेकिन जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी। फिलहाल निर्दोषों के परिजनों को मुआवजे की आस है।