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देर रात तक दोनों पक्षों में से किसी ने भी कार्रवाई हेतु नहीं दिया थाने में आवेदन।

आपसी समझौते के तहत मामला निपटाने की बात कह कर दोनों पक्ष थाने से निकल गए।

रंगरा थाना क्षेत्र के नेशनल हाईवे 31 पर बीते गुरुवार को रंगरा प्रखंड प्रमुख मोती यादव के द्वारा मदरौनी पंचायत के मुखिया अजीत सिंह मुन्ना को अपने सहयोगियों के साथ अगवा करते हुए चापर स्थित अपने घर पर बंधक बना लिया गया था। जिसे लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों समर्थकों एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों का दोपहर से लेकर देर रात तक माथापच्ची चलता रहा। इस घटना से उठे बवाल को शांत करने के लिए नवगछिया एसडीपीओ दिलीप कुमार भी गुरुवार के रात्रि के करीब 7 बजे तक रंगरा थाना में कैंप करते रहे। परंतु दोनों पक्षों के द्वारा कोई कार्रवाई की बात नहीं सामने आने पर वह वहां से चले गए और जाते जाते उन्होंने रंगरा ओपी अध्यक्ष बिट्टू कुमार कमल को निर्देश देते गए कि अगर दोनों पक्षों में से दोनों के द्वारा एक दूसरे के खिलाफ आवेदन दिया जाता है तो दोनों को हिरासत में ले लिया जाए। शायद यही कारण है कि गिरफ्तारी के डर से दोनों पक्षों में से किसी ने भी एक दूसरे के खिलाफ थाना में आवेदन नहीं दिया।


रगरा प्रमुख मोती यादव का रहा है लंबे समय से अपराधिक इतिहास। रंगरा प्रखंड प्रमुख संजीव कुमार उर्फ मोती यादव का पिछले 25 वर्षों में से 10 वर्षों का अपराधिक इतिहास रहा है। हालांकि पिछले तीन पंचवर्षी से वे अपराध के स्याह अंधेरे से निकलकर राजनीतिक गलियारे में चर्चित होने लगे। जिस समय मोती यादव का अपराध के क्षेत्र में काफी वर्चस्व था और उनसे हाथ मिलाने की हिमाकत किसी भी शख्स में नहीं था, उस समय रंगरा थाना के अलावे आसपास के अन्य थानों में इनके नाम कई अपराधिक घटना को अंजाम देने का कांड अंकित है। परंतु जब इनके शार्प शूटर बुधला यादव की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई, तब से इनके वर्चस्व में कुछ कमी आ गई और उन्होने अपराध की दुनिया से निकल कर राजनीति सफर शुरू कर दी। हालांकि इनके समर्थक कहते हैं कि मोती यादव ने अपराध का रास्ता छोड़ दिया है और वह समाज के मुख्यधारा से जुड़ कर आम लोगों की सेवा करने का काम कर रहे हैं। परंतु बीते गुरुवार को मुखिया के अपहरण कांड ने एक बार फिर क्षेत्र में मोती यादव की अपराध की वर्चस्व की चर्चा लोगों की जुबां पर ला दी है।

चर्चा है कि मोती यादव के अपराधिक इतिहास एवं वर्तमान वर्चस्व के कारण ही मुखिया अजीत सिंह मुन्ना के द्वारा उनके खिलाफ कोई भी आवेदन नहीं दिया गया। वही प्रशासनिक सूत्रों की माने तो दोनों ने एक दूसरे के प्रति आक्रोश व्यक्त करते हुए पहले तो थाना में मामला दर्ज करने की बात कही। परंतु फिर दोनों मामला दर्ज करने से पीछे हट गए। लिहाजा वर्तमान में यह घटना लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। पैट्रोल पंप खोलने के लिए प्रमुख ने खरीदी थी जमीन।

प्रमुख मोती यादव ने 10 कट्ठा की जमीन मदरौनी चौक के समीप पेट्रोल पंप खोलने के लिए खरीदी थी।एग्रीमेंट में उक्त जमीन एनएच 31 से सटे हुए होने की बात कही गई थी। परंतु जो जमीन रजिस्ट्री की गई वह जमीन नेशनल हाईवे सड़क से दूर थी। यही कारण है कि प्रमुख को यह वादाखिलाफी नागवार गुजरा और उन्होंने मुखिया को अगवा कर लिया।

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