

संसद में पास हुए तीन कृषि विधेयकों का विरोध अब सड़कों पर जोर पकड़ने लगा है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) समेत विभिन्न किसान संगठनों ने आज, शुक्रवार 25 सितंबर, को भारत बंद का ऐलान किया है। इस दौरान चक्का जाम किया जाएगा। इसे कई विपक्षी दलों का साथ मिल रहा है। राजद ने कृषि बिल को किसान विरोधी बताते हुए शुक्रवार को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।

पटना में यह प्रदर्शन राजद प्रदेश कार्यालय से शुरू होगर आयकर गोलम्बर, डाकबंगला चैराहा होते हुए जिला मुख्यालय में समाप्त होगा। पटना में भी आज सुबह 9 बजे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने आवास से किसानों और समर्थकों के साथ विरोध प्रदर्शन करते हुए पार्टी कार्यालय जाएंगे।
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार लगातार गरीब और किसान विरोधी फैसले ले रही है। संख्या बल का इतना गुमान है कि बगैर किसानों, उनके संगठनों और राज्य सरकारों से राय-मशवरा किये ही कृषि क्षेत्र का भी निजीकरण, ठेका प्रथा और कॉर्पोरेटीकरण करने को आतुर है। लोकसभा में एकतरफ़ा तीन कृषि विधेयकों का पास कराना किसानों का हाथ काटने जैसा है। सबसे बड़ा खतरा यह है कि इस बिल के पास हो जाने के बाद सरकार के हाथ में खाद्यान्न नियंत्रण नहीं रहेगा और मुनाफे के लिये जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा।

बिहार में कांग्रेस समर्थित सरकार बनी तो किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून लाएंगे। यह बात कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कही। आरोप लगाया कि सरकार नये कानूनों की मदद से किसानों के खेत को चहेती कंपनियों के हाथों गिरवी रखना चाहती है। दावा किया कि बिहार में महागठबंधन के सभी साथी एकजुट हैं।
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि संसद में किसानों के हित की आवाज दबाई जा रही है और सड़क पर किसान पीटे जा रहे हैं। केन्द्र के तीनों कानून में ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ यानी एमएसपी की चर्चा तक नहीं है। सरकार कहे कि किसानों को एमएसपी देना अनिवार्य है तथा उससे कम खरीद करने पर सरकार नुकसान की भरपाई करेगी और दोषी को सजा देगी। ऐसा प्रवधान कानून में हो जाए तो हम अपना आंदोलन वापस ले लेंगे।

