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03 जनवरी माता सावित्रीबाई फुले की जयंती को भागलपुर के खरीक प्रखंड के आदर्श विद्यालय,नवादा में राष्ट्रीय शिक्षिका दिवस के बतौर मनाया गया.इस मौके पर विभिन्न विधाओं में आयोजित प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया.अंत में मुख्य अतिथि डॉ.विलक्षण रविदास ने बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया.पुरस्कार में बहुजन नायक-नायिकों की जीवन से जुड़ी पुस्तकें भी दी गयी.


इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि सावित्रीबाई फुले- महात्मा जोतीबा फुले ने मिलकर भारत का पहला महिला विद्यालय 1 जनवरी 1848 ई0 को पूणे के भीड़बाडा में खोलने का काम किया.सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले ने समाज के हर हिस्से के लिए शिक्षा का दरवाजा खोलने के पहल किया,लड़ाई लड़ी.सावित्रीबाई फुले पहली महिला शिक्षिका थीं.इसलिए सावित्रीबाई फुले के जन्म दिन को राष्ट्रीय शिक्षिका दिवस के रूप में हम मनाने की शुरुआत कर रहे हैं.

इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ.विलक्षण रविदास ने कहा कि हिंदू धर्म,ब्राह्मणवादी सामाजिक व्यवस्था और परंपरा में शूद्रों-अतिशूद्रों और महिलाओं को सभी मानवीय अधिकारों से वंचित रखा गया था.आधुनिक भारत में पहली बार जिस महिला ने इसे चुनौती दिया, उनका नाम सावित्रीबाई फुले है.उन्होंने अपने कर्म और विचारों से वर्ण-जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी पितृसत्ता को एक साथ चुनौती दी.

उन्होंने कहा कि आज के इस आधुनिक भारत में सावित्रीबाई फुले के कार्य और विचार की रोशनी में आगे बढ़ने की नितांत आवश्यकता है. इसलिए हमें इनके जन्म दिन को राष्ट्रीय शिक्षिका दिवस समारोह पूर्वक मनाने की जरूरत है ताकि हम प्रेरणा और ऊर्जा लेकर बदलाव का कारवां आगे बढ़ा सकें.

सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के रिंकु यादव ने कहा कि सावित्रीबाई फुले को पढ़ने-पढ़ाने और स्कूल खोलने-चलाने के लिए लड़ना पड़ा था.उन्होंने सबके लिए शिक्षा की लड़ाई की बुनियाद रखी थी.आज हमारी सरकारें स्कूल बंद कर रही है,सरकारी शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर शिक्षा को व्यापार की वस्तु बना रही है.दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों के लिए शिक्षा हासिल करने का रास्ता बंद किया जा रहा है.सावित्रीबाई फुले के वारिसों को बेहतर शिक्षा हासिल करने और सरकारी शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए लड़ना होगा.


वक्ताओं के बतौर आदर्श सर्वोदय विद्या मंदिर के निदेशक राजेश कुमार रवि, शिक्षिका सलिता कुमारी, नीभा कुमारी, कवि अरूण अंजाना, बिहार फुले-अंबेडकर मंच के अखिलेश रमण, नसीब रविदास, शिक्षक सुनील कुमार गुप्ता, संतोष कुमार, अमरजीत कुमार, लालमुनी कुमार, रौशन कुमार थे।
मौके पर सत्यप्रकाश कुमार, मुकेश कुमार थे वहीं छात्रा रिंकु कुमारी, प्रेरणा कुमारी ने बेहतर गीत व भाषण दी। कृष्णा कुमार, गुलशन, नीरज, मिथुन सहित सैकड़ो छात्र-नौजवानg मौजूद थे।

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