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भागलपुर/ निभाष मोदी

भागलपुर बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था में बेहतरी को लेकर लगातार स्वास्थ्य विभाग के द्वारा व्यवस्था में सुधार के दावे किए जाते हैं और मरीजों को कहीं से असुविधा ना हो इसको लेकर कदम उठाए जाने की बात की जाती है। लेकिन भागलपुर के सदर अस्पताल की जो तस्वीर नजर आई है उसे देखकर समझा जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग के दावे कितने खोखले हैं। दरअसल सदर अस्पताल में शाहकुंड अस्पताल से एक गर्भवती महिला दर्द से बेहाल होकर यहां पर पहुंची हुई थी। लेकिन अस्पताल की बेरुखी के कारण उसे इधर से उधर भेजा जा रहा था।

ना तो उसे स्ट्रेचर दी गई और ना ही कोई अस्पताल का कर्मी ही साथ में था। जब नजर महिला पर पड़ी तब अस्पताल कर्मियों ने उसे आनन-फानन में अस्पताल के अंदर दाखिल होने दिया। परिजनों सहित आसपास खड़े लोगों का कहना था कि सुबह से ही महिला को इधर से उधर भेजा जा रहा था। जबकि महिला दर्द से कराह रही थी। वही कैमरे को देखकर नर्स और डॉक्टर हरकत में आए और महिला का इलाज शुरू किया गया। अगर पत्रकार यहां पर नहीं होती तो समझा जा सकता है कि महिला के साथ कुछ भी अनहोनी हो सकती थी।

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