- शुद्ध, वर्तनी, लेखनी पर कार्यशाला
- ‘आपनो बोली’ पर किया विमर्श, कहा अंगिका भाषा का भी समृद्ध है साहित्य
- दमदार सर्वभाषा कवि सम्मेलन का किया गया आयोजन
नवगछिया – जाह्नवी चौक जयमंगल टोला में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी एक फरवरी को अंगिका दिवस समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम तीन सत्रों में आयोजित किया गया. प्रथम सत्र में अंगिका की शुद्ध वर्तनी और लेखनी पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. दूसरे सत्र में ‘अपनों बोली’ नाम से एक वैचारिक सत्र का आयोजन किया गया जबकि तीसरे सत्र में सर्वभाषा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. समारोह में कोसी, सीमांचल और मध्य बिहार के अलावा बड़ी संख्या में कवियों, साहित्यकारों ने भाग लिया.
समारोह का संयोजन और तीनों कार्यक्रम की अध्यक्षता अंगिका के ध्वनि वैज्ञानिक डॉ रमेश मोहन शर्मा ‘आत्मविश्वास’ कर रहे थे. मुख्य अथिति के रूप में मौजूद अंगिका अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो डॉ लखनलाल आरोही, आकाशवाणी दिल्ली के पूर्व साहायक निदेशक अरुण कुमार पासवान, विशिष्ठ अतिथि महेंद्र निशाकर, दीपक कुमार, डॉ सियाराम यादव मयंक, शीतांशु अरुण, डॉ आत्मविश्वास, अरविंद कुमार मुन्ना और श्रवण बिहारी, सहित्यविद गौतम कुमार प्रीतम ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. ध्वनि वैज्ञानिक ने कार्यक्रम के प्रथम सत्र में कहा कि अंगिका की वर्तनी वैश्विक स्तर की है और इसकी वैज्ञानिकता की अगर तुलनात्मक अध्ययन किया जाय तो विश्व में चुनिंदा कुछ भाषा ही अंगिका के समक्ष खड़ी होती है.
लेकिन आज अंगिका के साहित्यकार, लेखक, कवि अपनी वर्तनी में तो शुद्ध अंगिका का प्रयोग करते हैं लेकिन लेखनी में वे चूक जा रहे हैं. किसी भी भाषा के विकास के लिये शुद्ध वर्तनी और शुद्ध लेखनी काफी आवश्यक है. आपनो बोली नामक वैचारिक सत्र में बात सामने आयी कि लोककवि स्व भगवान प्रलय की रचना ‘महुआ घटवारिन’ के साथ छेड़छाड़ कर कुछ कवि और साहित्यकार उसे अपना बता रहे हैं. समूह स्वर में इसकी निंदा की गयी और मौके पर ही लखन लाल आरोही ने कहा कि भगवान प्रलय की महुआ घटवारिन एक अमूल्य कृति है, जिसे अपने जीते जी कवि ने कई जगहों पर प्रस्तुति कर चुके हैं. यही कारण है यह रचना अप्रकाशित होते हुए भी साहित्यकारों के बीच जगजाहिर है. उन्होंने कहा कि वे भगवान प्रलय की रचना ‘महुआ घटवारिन’ का जल्द ही प्रकाशन कराएंगे. बात सामने आयी कि डॉ आत्मविश्वास द्वारा रचित अंगिका व्याकरण की भी कॉपी हो रही है. समारोह में निंदा प्रस्ताव पारित किया गया. कवि सम्मेलन में एक से बढ़ कर एक रचनाओं की प्रस्तुति की गयी. कवि विनय कुमार दर्शन ने ‘सुनो हो लोग बेद हटिया के, घोर छिकै हमरो टटिया के’ की प्रस्तुति कर लोगों को गुदगुदाया और सोचने पर भी मजबूर किया. कवि श्रवण बिहारी ने वर्तमान परिवेश में गांधी की आवश्यकता पर कविता के माध्यम से बल दिया. अरुण अंजना, कपिलदेव कल्याणी, सुरेंद्र शोषण, रत्नेश अंकज, डॉ अमलेंदु कुमार अंकज, कविता राजवंशी, अनिल कुमार बेकार, डॉ ब्रह्मदेव ब्रह्म ने अपनी रचनाओं से लोगों को हंसाया, रुलाया और गंभीर सवाल भी खड़ा किया. कार्यक्रम अखिल भारतीय अंगिका साहित्य विकास समिति के बैनर तले आयोजित किया गया. डॉ आत्मविश्वास के धन्यवाद ज्ञापन के बाद सभा का समापन किया गया. इस अवसर पर गौतम कुमार प्रीतम, अखिल भारतीय अंगिका साहित्य विकास समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनय कुमार दर्शन, दीपक कुमार, डॉ सियाराम यादव मयंक समेत अन्य भी थे.