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भागलपुर/ निभाष मोदी

भागलपुर।भारत सरकार द्वारा पेश किए गए आम बजट में बिहार जैसे कृषि बहुल राज्य को कितना फायदा होगा, उस मसले पर बिहार कृषि विश्विद्यालय सबौर, भागलपुर के कुलपति डॉ डी आर सिंह और कृषि प्रसार के निदेशक डॉ आर के सोहाने की प्रतिक्रिया किसानों के हित में है। बाढ़ और सूखाड़ जैसी आपदा को झेलती बिहार में केंद्र सरकार का ग्रीन बजट फायदेमंद हो सकती है। बिहार सरकार के कृषि रोडमैप और महिला स्वावलंबन में जीविका दीदियों की भूमिका को भी ज्यादा सपोर्ट मिल सकती है केंद्र सरकार के आम बजट से। बिहार राज्य का आईएफएस मॉडल यानी इंटेग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम किसानों को ज्यादा मजबूत और मुनाफ़ा दे सकती है। खासकर उन इलाकों में जहां सिंचाई के लिए पानी की समस्या है। वहां भूमिगत जलस्तर दुरुस्त करने में मदद मिलती है। 2023 के आम बजट में हरित खेती, हरित ऊर्जा पर विशेष ज़ोर देने की बात की गई। किसानों के लिए कृषि वर्धक निधि की बात की गई। उसके जरिए कृषि संबंधित स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाएगा।

कृषि स्टार्टअप के लिए डिजिटल एक्सीलेटर फंड भी बनाने की बात हुई। प्रधानमंत्री मत्स्य योजना के लिए 6,000 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया। आम बजट में किसानों के लिए कृषि क्रेडिट कार्ड 20 लाख करोड़ तक बढ़ाने की बात की गई। बजट में मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने की बात की गई। बागवानी की उपज के लिए 2,200 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया। खेती के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचा बढ़ाने, साथ ही खेती में आधुनिक तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल पर जोर देने की बात हुई।

2023 के बजट में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर ध्यान देने के साथ ही एग्रीटेक स्टार्टअप्स को बड़ा बढ़ावा देने की घोषणा हुई। सरकार ने कृषि के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की घोषणा की, जो समावेशी किसान-केंद्रित सेवाओं से जुड़ी होगी। बजट में भारत को मिलेट्स या मोटे अनाजों के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने की परिकल्पना की गई। मिलेट्स यानी मोटे अनाज की कई किस्में भारत में पैदा होती हैं। बिहार के दक्षिणी इलाकों के लिए आई एफ एस मॉडल में एक ही जगह पर बजट में समाहित प्रावधानों के तहत ज्यादा मुनाफ़े की संभावना प्रबल है।

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