भागलपुर।2023 के आम बजट में पृथ्वी को बचाने हेतु पीएम प्रणाम योजना की घोषणा हुई है। सुलझे शब्दों में कहें तो देश की मिट्टी की सेहत और आम इंसान की सेहत को ध्यान में रखते हुए पीएम प्रणाम योजना लाई गई है।
आज़ादी के अमृतकाल के दौरान Human हेल्थ को दुरुस्त करने में Soil हेल्थ को मजबूत करना एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। देश के एन्वॉयरमेंटल नेक्सस और सस्टेनेबल डेवेलपमेंट गोल पाने का लक्ष्य 2030 तक जरूर रखा गया है, लेकिन उस बाबत नेक्सस एप्रोच की सख्त जरूरत है।
जिसमें मिट्टी, पानी, ऊर्जा, बायो डायबर्सिटी, मौसम, फ़ूड और सामाजिक आर्थिक हालात को दुरुस्त करना होगा।
तभी तो पृथ्वी माता के पुरुद्धार के लिए पीएम प्रणाम योजना 2023 के बजट में लाई गई है। मिट्टी संरक्षण भागलपुर से जुड़े अधिकारी रवि सिंह बता रहे हैं कि पिछले एक दशक से मिट्टी की सेहत खराब होती जा रही है। उसका गंभीर असर इंसानी सेहत पर बढ़ता जा रहा है। लेकिन बिहार की मिट्टी अन्य राज्यों की तुलना में अभी भी नेचुरल तरीके से उपज देने में ज्यादा सक्षम है।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के सीनियर मृदा वैज्ञानिक डॉ बिपिन बिहारी मिश्र जी सरकार से नेक्सस एप्रोच और सॉयल लैंड इभेल्युशन पर फोकस करने की बात कह रहे हैं।
अलग बात है कि पीएम प्रणाम योजना के तहत खेती में रासायनिक खाद के संतुलित प्रयोग और उसकी जगह वैकल्पिक उर्वरकों यानी जैविक खाद के इस्तेमाल को बढ़ाने पर जोर दिया जाना तय हुआ है। ताकि मिट्टी की उपज क्षमता बढ़ाई जा सके।
आखिर में एक बात रामायण की पंक्ति से जोड़ कहना चाहूंगा कि
“क्षिति जल पावक गगन समीरा,
पंच रचित अति अधम शरीरा”
मतलब साफ है कि आज़ादी के अमृतकाल में अमृतपान के लिए मिट्टी की सेहत को दुरुस्त करने में कृषि वैज्ञानिकों के अलावा आपकी भी भूमिका होनी चाहिए, ताकि जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणाम से बचा जा सके।