नवगछिया के बिहपुर प्रखंड के मिल्की गांव में गंगा जमुनी तहजीब व सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बन चुके दाता मंगन शाह रहमतुल्ला अलैय के मजार पर उनके सलाना उर्स-ए-पाक का आगाज नौ मार्च से शुरू होना संभावित है. दाता मंगन शाह रहमतुल्ला अलैह का मजार करीब 250 साल पुराना है। लोगों की आस्था के कारण यहां हर वर्ष उर्स- ए- पाक पर करीब 5 लाख लोग पहुंचते हैं।
दरगाह पर कई निसंतान दंपत्ति बाबा के दरगाह पर अपनी हाजिरी लगाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि निसंतान दंपत्ति अगर नए कपड़े पहन कर महिला का आंचल फाड़ कर मजार पर बांधा जाए तो जल्द महिला की गोद भर जाती है।
मजार पर एक जगह है जहां पर लोग अपनी मन्नत मांगने के बाद उसमें एक पत्थर बांधकर छोड़ देते हैं जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो वहां से पत्थर खोल दिया जाता है।
नवगछिया के बिहपुर प्रखंड के मिल्की गांव में सांप्रदायिक सौहार्द एवं कौमी एकता का मिसाल बन चुके हैं दाता मंगल शाह रहमतुल्लाह अलेह का मजार। कमिटी के सदस्य मोहम्मद इरफान आलम ने बताया कि परंपरा अनुसार पहली चादर पोशी बिहपुर के हिंदू कायस्थ परिवार के द्वारा की जाती है या परंपरा शुरुआत से ही चली आ रही है। वह बताते हैं कि दाता मंगन शाह एक मुसलमान सूफी संत थे करीब ढाई सौ वर्ष पूर्व में भी एक हिंदू कायस्थ लालबिहारी मजूमदार के यहां रहकर पूरे दिन जनसेवा फकीरी में बिताते थे उस हिंदू कायस्थ के परिवार के किसी सदस्य को.
कोलकाता हाईकोर्ट में फांसी की सजा होने वाली थी। जिस दिन वह सजा होने वाली थी उस दिन परिवार में यहां सभी शोकाकुल थे लेकिन दाता मंगन शाह का कहना था कि जज का फैसला रिहाई में बदल जाएगा। जैसे ही फैसला आया उनके परिवार की दोषी के फांसी की सजा माफ हो गई और वह निर्दोष घर वापस आ गया जा एक तरफ आरोपी का कहना कि उन्होंने दाता मंगन शाह को कोर्ट रूम में बैठे हुए देखा था। जहां दूसरे तरह उनका एक स्वरूप उनके दरवाजे पर थे। जैसे ही लाल बिहारी की रिहाई हुई दूसरी दिन है वह अपने घर बिहपुर पहुंचे जहां उन्होंने सारी घटना बताई इसी बीच दाता मांगन शाह ने अपना देह त्याग कर दिया।
उसके बाद सम्मान के साथ उन्हें दफनाया गया आज भी इनके सालाना उर्स पर पहली चादरपोशी इसी हिंदू कायस्थ परिवार के वंशज करते हैं।
इनके वार्षिक अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है चादरपोशी की जाती है और कई जायरीन भारत के कोने कोने से पहुंचते हैं यू तो भागलपुर के आसपास के जिले से भी लोग आते हैं, लेकिन अन्य राज्यों के लोगों की तादाद अधिक होती है।