शराब की बोतल हूँ मैं
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शराब की बोतल हूँ मैं
पडोसी घर नचायी जाती।
छुप-छुपाके बिहार आई
ओर यहाँ छिपायी जाती।
चीज बडी मान की हूँ मैं
शराब की बोतल हूँ मैं।
हूँ आस बेरोजगारों का
कमरबंद करके लाते हैं।
चेकिंग देख रास्ते में वो
झांसे से निकले जाते हैं।
राहत पा चुमि जाती हूँ मैं
शराब की बोतल हूँ मैं।
लिगल समानों बीच छुपाके
ट्रको में ढोयी जाती हूँ।
कस्टम के अत्याचारों से
किस्मत पे रोयी जाती हूँ।
सर्वत्र भाग्यहीन न हूँ मैं
शराब की बोतल हूँ मैं।
मुझे रखे गड्डे में वो तो
सिस्टम से ग्राहक लाते हैं।
पौआ,हाफ,फूल कह-कहके
हम अजब पुकारे जाते हैं।
बेहद उँची दाम की हूँ मैं
शराब की बोतल हूँ मैं।
पी-पी के मेरी फजिहत कर
परस्पर सब लड जाते हैं।
गैर-कानूनी खेल खेलकर
थाने सीखाने जाते हैं।
वहाँ बुलायी जाती हूँ मैं
शराब की बोतल हूँँ मैं।
थानेदार के आगे रखे
कहते यह मेरा नहीं साब।
वह तो रोजें बेचा करते
और वही राखे है हिसाब।
साखी गिरती देखी हूँ मैं
शराब की बोतल हूँ मैं।
थानेदार झपटे सबो पे
उसे बेतो का प्रहार किया।
अपराध यह बडी है सालो
मेरे क्षेत्र में शराब पिया।
यह कारवाई देखी हूँ मैं
शराब की बोतल हूँ मैं।
पकड उसे जेल भेजवाया
बीस दिनों में छुटकर आया।
फिर मुझे ढूँढते-ढूँढते
पागल सा मेरे पास आया।
जैसे उसकी जिंदगी हूँँ मैं
शराब की बोतल हूँ मैं।
शराब बंदी अच्छी परन्तु
कानून सख्त होना चाहिए।
विरक्त हो चुकी हूँ जो यहाँ
अनुराग नहीं मिलना चाहिए।
इसलिए इठीलाती हूँ मैं
शराब की बोतल हूँँ मैं।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
कदवा, नवगछिया, भागलपुर।