भागलपुर के गणपतराय सलारपुरिया सरस्वती विद्या मंदिर नरगाकोठी चंपानगर में चल रहे नवीन आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के 16वें दिन का प्रारंभ भारती शिक्षा समिति के प्रदेश सचिव प्रदीप कुमार कुशवाहा रोहतास विभाग के निरीक्षक उमा शंकर पोद्दार एवं नालंदा विभाग के निरीक्षक राकेश नारायण अम्बष्ट ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया।
उमाशंकर पोद्दार ने कहा कि शिक्षण एक उपचारात्मक प्रक्रिया या योजना होती है ।सूक्ष्म शिक्षण शिक्षण का एक अति लघु एवं सरलीकृत रूप होता है। सूक्ष्म शिक्षण से शिक्षण प्रक्रिया सरल होती है। सूक्ष्म शिक्षण एक वास्तविक शिक्षण है।सूक्ष्म शिक्षण के अंतर्गत उन्होंने श्यामपट्ट कौशल, प्रश्नोत्तर कौशल ,पुनर्बलन कौशल एवं उद्दीपन कौशल के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। श्यामपट्ट कौशल शिक्षण प्रक्रिया का एक भाग है। श्यामपट्ट पर लिखने का अवसर भैया बहनों को भी देना चाहिए। प्रश्न पूछना एक आवश्यक शिक्षण कौशल है। बच्चों द्वारा दिए गए उत्तर को सीधे गलत नहीं बताना चाहिए उसे कहना चाहिए कि अगर आप इसका उत्तर इस प्रकार से दें तो और अच्छा होगा।
शिक्षक द्वारा छात्रों का ध्यान आकर्षित करने के लिए तथा ध्यान को पाठ में लगाए रखने के लिए शिक्षक अपने व्यवहारों में जानबूझकर परिवर्तन लाता है इसे ही उद्दीपन कौशल कहते हैं।
भोजपुर विभाग के निरीक्षक वीरेंद्र कुमार ने कहा कि शिशु ईश्वर से प्राप्त होता है। हम सभी ईश्वर का अमूल्य उपहार हैं। हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है। जिन चीजों से बच्चों को आनंद मिलता है उस काम को बालक ज्यादा करते हैं और बालक को उस काम को करने के लिए छोड़ देना चाहिए। शिशु वाटिका के भैया बहनों को महापुरुषों के चित्र, दर्शनीय स्थल, विभिन्न प्रकार के पशु पक्षी के बारे में, कुछ प्राकृतिक दृश्य के बारे में बताना चाहिए।
इस अवसर पर प्रदेश सचिव प्रदीप कुमार कुशवाहा ,डॉ रमेश मणि पाठक, उमाशंकर पोद्दार, राकेश नारायण अम्बष्ट,विनोद कुमार, ब्रह्मदेव प्रसाद, वीरेंद्र कुमार ,परमेश्वर कुमार, गंगा चौधरी, साकेत कुमार, विद्यालय के प्रधानाचार्य नीरज कुमार कौशिक, शिशु मंदिर प्रभारी प्रधानाचार्य राजेश कुमार ,सुजीत कुमार गुप्ता एवं भाग ले रहे प्रशिक्षणार्थी उपस्थित थे।