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मुस्लिम समुदाय के लोग श्रद्धा और स्वच्छता के साथ कांवरियों की सेवा के लिए पूरे सावन छोड़ देते हैं मांस मछली लहसुन प्याज

भागलपुर सुल्तानगंज अजगैविनाथ धाम के ऐतिहासिक श्रावणी मेले में साम्प्रदायिक सौहार्द की एक अनुठी मिसाल देखने को मिल रही है। कहते है न मजहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना.. इस लाइन को यहाँ के मुस्लिम परिवार के लोग चरितार्थ कर रहे है….. दरअसल भागलपुर के सुल्तानगंज में मुस्लिम संप्रदाय के लोग पुरी धार्मिक आस्था के साथ न केवल काँवरियों के लिए कांवर जल लेकर देवघर जाने के लिए डब्बा झोली बनाने का काम ही नहीं कर रहे बल्कि सावन भर मांस मछली लहसुन प्याज़ को त्याग कर सनातन धर्म की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए धार्मिक रूप मे आ जाते है…और काँवरियों की सेवा के लिए सुल्तानगंज पहुँच कर कांवर एवं पूजा मे लगने वाले सामान बना कर बेचने लगते है… बताया जा रहा है की पीढ़ी दर पीढ़ी यही काम करके काँवरियों की सेवा करते है… आपको बतादे की सुल्तानगंज मे 150 ऐसे परिवार है जो हर साल सुल्तानगंज आकर काँवरियों की सेवा करते है.. यही उनकी पूरे साल की जीविका भी है…कुछ भी हो लेकिन गंगा जमुनी तहजीब और भाई चारे का अदभुत दृश्य यहाँ देखने को मिलता है….. मजहबी चश्मों से अलग ,मिलजुलकर इस काम को करते यहाँ के मुस्लिम परिवार के लोग मिल जाएंगे…..

मोहम्मद मोइनुद्दीन ने बताया हमलोग हर सावन में कांवरियों की वर्षों से सेवा करते आ रहे हैं, डब्बा जल भरने वाला झोली कांवर बनाते हैं और सनातन धर्म के नेम निष्ठा को ध्यान में रखते हुए हमलोग पूरे सावन मांस मछली लहसुन प्याज नहीं खाते हैं ताकि हिंदू धर्म के धार्मिकता को ठेस ना पहुंचे।

मोहम्मद ऐनुल ने बताया कि हमलोग पुरखों से यह काम कर रहे हैं , कांवरियों की सेवा करते 100 साल से ज्यादा हो गया होगा हम लोग भाईचारे का मिसाल कायम करते हैं और व्यवसाय भी चलाते हैं, कांवरियों की सेवा करते हैं और मांस मछली पूरे सावन छोड़ देते हैं ,मुस्लिम समुदाय के कई लोग सावन में बाहर से भी सुल्तानगंज कांवरियों की सेवा करने आते हैं।

बीवी मुस्तरी बेगम ने कहा हमलोग जन्म जन्मांतर से कांवरियों की सेवा करते हैं, हमलोग हिंदू-मुस्लिम सुल्तानगंज में मिलजुल कर रहते हैं और व्यवसाय भी करते हैं, हमलोग एकता के सूत्र में सबको बांधने की कोशिश किए रहते हैं जिससे यह मिसाल कायम हो और पूरा देश इससे प्रेरणा ले।

अजीत कुमार जन संसद के संरक्षक ने कहा कि जब से हमलोगों ने होस संभाला है तबसे हमने यहां हिंदू मुस्लिम में कोई भेदभाव नहीं देखा है, यहां के सभी स्थानिय 150 मुस्लिम परिवार अपने अपने स्तर से श्रावणी मेले में कांवरियों की सहायता व सेवा करते हैं बैग सेठिया डब्बा कपड़े बनाते हैं और सभी मुस्लिम परिवार श्रद्धा और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए कांवरियों की सेवा करते हैं।

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