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नवगछिया के बहुचर्चित व प्रसिद्ध तेतरी स्थित दुर्गा मैया के बारे में कहा जाता है कि यहां से आज तक कोई खाली नहीं गया. यही कारण है माता का वैभव दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है. माता के मंदिर माता का इतिहास 250 वर्ष पुराना है. आचार्य मन्नू पंडित समेत ग्रामीण बताते है तेतरी गांव में काजीकोरैया से एक मेढ़ यहां पर बाढ़ के पानी में बह कर चला गया. जब काजीकोरैया के लोग मेढ़ को उठाने आये तो मेढ़ टस से मस नहीं हुआ. और जब तेतरी के कुछ लोगों ने ही मेढ़ को उठाने का प्रयास किया तो मेढ़ उठ गया. फिर कलबलिया धार के निकट ही मेढ़ को स्थापित किया गया और पूजा अर्चना शुरू कर दी गयी. तब से लेकर अब तक माता की पूजा अर्चना की जा रही है. माता के इस मंदिर में वैदिक विधि से माता की पूजा अर्चना की जाती है. माता के इस मंदिर में बली देने की प्रथा नहीं है. यहां माता को कोढला फल की बाली प्रदान की जाती है.

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