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विद्यालय में नही कर रहे छात्र मध्यान भोजन

बिहपुर:- बिहार सरकार भले हीं शिक्षा पर सबसे अधिक खर्च कर रही है पर एक बड़ी सच्चाई यह भी है की मध्यान भोजन की सरकार की नई योजना पूर्ण रुप से विफल हो चुकी है । प्रारंभ में जब प्रखंड के कुछ विद्यालयों में जब रात का पका हुआ खराब भोजन विद्यालय पहूँचा तो कुछ विद्यालय के शिक्षक एवं छात्रों ने विरोध किया पर परिणाम कुछ हट कर सामने आए । पदाधिरारीयों के द्वारा मध्यान भोजन में गुणवत्ता लाने पर संज्ञान लेने के बज़ाय शिक्षकों पर हीं कार्रवाई कर दी गई । अब शिक्षक समझ चुके थे की इस मुद्दे पर कुछ नही नही बोलना है । बच्चे निरंतर खराब मध्यान भोजन को लेकर आक्रोश जताते रहे । शिक्षक बच्चों के आक्रोश का सामना करते हैं और बच्चों को हीं समझा बुझा कर भोजन करने को कहते हैं ।

भागलपुर से तमाम विद्यालयों को पका पकाया भोजन स्टील के डब्बों में एक टेम्पु से भेज दिया जाता है । धीमी गति का वाहन धीरे-धीरे सारे विद्यालयों को भोजन पहूँचाते हैं जो पहूँचते पहूँचते खाने योग्य नही रह जाता है । भोजन में पोलाव , फल ,राजमा, अंडे आदि को मेन्यू में सम्मिलित किया गया है । केवल और केवल हल्दी मिले चावल को हीं पलाव का नाम दिया जाता है । जब केवल दाल चावल बन कर आते हैं तो चावव का रंग देखकर हीॆ बच्चे खाने से दूर भागते हैं । यदि जबरन बच्चों को भोजन पड़ोस भी दी जाती है तो बच्चे भोजन को फेंक देते हैं । मध्यान भोजन आवारा पशुओं के लिए वरदान बन गया हो जैसे । प्रखंड हीं नहीम नही अनुमंडल से भी खराब मध्यान भोजन की शिकायत आनी प्रारंभ हुई पर इसमें सुधार के कोई गुंजाईश दिखाई नही दे रही है । तमाम जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारीयों की मध्यान भोजन पर चुप्पी समझ से परे है ।

जिस प्रकार से निरंतरता से मध्यान भोजन भेजे जा और बर्बाद भी हो रहे ठीक उसी प्रकार से अनाज की यह अव्हेलना भी जारी है । एक समय था जब विद्यालय में यदि थोड़ी सी मध्यान भोजन के मेन्यू या गुणवत्ता की शिकायत हो जाती तो विद्यालय के प्रभारी को परेशानी का सामना करना पड़ता था । शिक्षक मध्यान भोजन के इस परेशानी से तो दूर हैं पर सर दर्द ये बढ गया की भोजन करवाएँ तो कैसे ? खराब मध्यान को नही खाना पसंद कर रहे बच्चे अब विद्यालय नही जाना पसंद कर रहे । कई विद्यालयों में अब छात्रों का अभाव भी प्रत्यक्ष देखा जा सकता है । विद्यालय के शिक्षक दर दर भटक रहे बच्चों को विद्यालय लाने के लिए और बच्चे हैं की खराब मध्यान भोजन के डर से छिपते फिर रहे । मध्यान भोजन से शिक्षा पर भी ग्रहन लगना प्रारंभ हो चुका है । अब यह देखना दिलचस्प होगा की शिक्षा के प्रति बच्चों में आए गिरावट से सरकार किस प्रकार निपटारा करती है ।

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