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तीन दिवसीय शिवमहापुराण के कथा का हुआ समापन

नवगछिया नगरपरिषद के वार्ड नं 25 के गजाधर बाबू रोड पर चल रहे शिवमहापुराण कथा के अंतिम दिन मानव के सांसारिक जीवन के मुक्ति की कथा सुनाते हुए अयोध्या धाम से पधारे आचार्य अजय शुक्ल ने श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि जीव की मुक्ति की कथा ही शिवपुराण की कथा है। हम सभी पशु पक्षी के तरह ही जीव हैं ,किन्तु जीव में जब धर्मानुसाशन हो जाय तथा उस जीव का आचरण धर्म व वेद के अनुसार होने लगे तब वह जीव मानव बनता है।यही मानव तथा पशु में मूलभेद है।धर्म हमें आचार ,विचार तथा संस्कार सिखलाता है। धर्म ही मनुष्य को पशु से अलग करता है। लेकिन धर्म के शिक्षा की कोई व्यवस्था नही है।न तो विद्यालय में नही समाज में धर्म की शिक्षा की कोई व्यवस्था वर्तमान समय मे दिखलाई दे रही है।

ऐसी स्थिति में बाबा भोलेनाथ की पूजा अर्चना ही एक ऐसा माध्यम है जिससे कि आचार्य धर्म को लोगों को समझाते हैं या समझते हैं।आचार्य अपने चर्चा के द्वारा धर्म को परिभाषित करते हैं। अर्थात कलयुग में भगवान की कथा ही मनुष्य को मुक्ति प्रदान करने की एक मात्र उत्तम व्यवस्था है। इसलिए राजा परीक्षित स्वर्ग से भगवान इंद्र द्वारा लाए अमृत को अस्वीकार कर कथामृत का रसपान करना श्रेयस्कर समझे ।

शिवमहापुराण स्वयं भगवान शिव की दिव्य ज्योति का प्रमाण है। यह स्वयं भगवान का रूप है।इसलिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा कि ‘सियाराम मैं सब जग जानी । यह नश्वर संसार ईश्वर का ही रूप है,इसके हेतु व उपादान भी ईश्वर ही हैं। बाबा भोले नाथ सभी देवी देवताओं के अपेक्षा बहुत शीध्र ही भक्त पर कृपा बरसाते हैं।कथा के दौरान मुख्य यजमान मुकेश कुमार गुप्ता, सेजल गुप्ता, चंद्रकांत झा,अभिनंदन कुमार, अंकित कुमार, दिनेश मंडल, तनीषा, प्रशांत कुमार, आशीष कुमार,ख़ुशी कुमारी,रितेश कुमारआदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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