एक दौर था जब अफवाह के पर विनाशकारी रूप लेता था। लेकिन आधुनिक दौर में जब डिजिटल एविडेंस, टेक्निकल सर्विलांस, सीसीटीवी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अलावा कई सारे टेक्निकल टूल्स हैं तो सामाजिक उद्वेलन और अस्थिरता पर नियंत्रण के बजाय इजाफा क्यों दिख रहा है, एक बड़ा सवाल है। छोटे शहर से लेकर बड़े शहरों के बीच से जो खबरें निकल के आ रही हैं, वह पुलिस, प्रशासन और समाज के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रही है। बात अगर बिहार में ही भागलपुर की करें तो 1989 के साम्प्रदायिक दंगे में जख्म खाए लोग आज भी अमन पसंद की चाह रखते हैं।
अब सिल्क सिटी भागलपुर की पहचान गुम होने के बाद नई पहचान स्मार्ट सिटी भागलपुर के रूप में हुई है। आए दिन बबाल नहीं हो, लॉ और आर्डर के हालात बेहतर बनी रहे, उसको लेकर स्मार्ट सिटी ने विशेष तैयारी कर ली है। आगामी 15 अगस्त से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस युक्त 1900 सीसीटीवी कैमरे से शहर की निगरानी और निगहबानी शुरू हो जाएगी। भागलपुर के एसएसपी आनंद कुमार और एसडीएम धनंजय कुमार टेक्निकल अपग्रेडेशन से बड़ी उम्मीद लगा रहे हैं कि छोटे शहरों में अब जो जुलूस, जलवा, प्रदर्शन और प्रतिरोध मार्च का प्रदर्शन होगा उसमें उपद्रवी कोई बबाल नहीं कर पायेगा। स्मार्ट सिटी का कैमरा और कमांड कंट्रोल रूम का बैकअप शहरवासी के हित में शायद अमन और शांति के लिए होगा।