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जल संसाधन विभाग के द्वारा कटाव रोकने के लिए लगातार प्रयास जारी

नवगछिया के रंगरा प्रखंड क्षेत्र के सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक तीनटंगा दियारा दक्षिणी पंचायत के ज्ञानी दास टोला में हो रहे कटाव है। जिसे रोकने का प्रयास जल संसाधन विभाग के द्वारा दिन-रात एक कर किया जा रहा है।
बताते चलें कि पिछले मगंलवार की देर रात 15 करोड़ की लागत से किए गए कटाव निरोधी कार्य 50 मीटर के दायरे में बोल्डर पिचिंग गंगा में समा गया था। कटाव को देखकर तटवर्ती क्षेत्र मे बसने वाले परिवार भय के साए में रात बिता रहे हैं। इसके अलावे बीते सप्ताह से लोगों का यहां से पलायन भी शुरु हो गया है। हालंकि वर्तमान में गंगा के जलस्तर में गिरावट हो रहा है। लेकिन कटाव का रिकार्ड रहा है कि जलस्तर में कमी होने से भी कटाव में तेजी आती है। तत्काल तो कटाव रुक गया है परन्तु जिस प्रकार कटाव निरोधी कार्य कटाव के सामने नहीं टिक पा रहा है इससे एक बार फिर तीनटंगा दियारा के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।

कटाव से सैकड़ों परिवार झेल रहें हैं विस्थापन का दंश।

बीते 4 वर्षों से जिस प्रकार तीनटंगा दियारा में कटाव अनवरत जारी है, जिससे अब तक इस कटाव से यहां के सैकड़ों परिवार विस्थापन होकर दर दर की ठोकरें खा रहें हैं। विस्थापन का आलम यह है कि लोग यहां से पलायन कर निकटवर्ती जिला पूर्णिया, कटिहार और मधेपुरा जिले में बसेरा बनाए हुए हैं। इसके अलावे दर्जनों लोग आस पास हीं प्लास्टिक और त्रिपाल टांग कर समय बिता रहें हैं।

अब तक कट गई सैकड़ो एकड़ उपजाऊ जमीन

इस कटाव से अब तक सैकड़ों एकड़ से भी अधिक जमीन गंगा की गर्भ में समा चुकी है। लिहाजा जिनकी जमीन गंगा में समा गई है उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। ऐसे परिवार विस्थापन से कहीं अन्यत्र तो चले गए हैं लेकिन उसके सामने जीवन यापन करना एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है।

कुछ परिवारों को दिया गया था सरकारी मुआवजा।

पिछले वर्ष के कटाव में पीड़ित परिवारों को बिहार सरकार ने जिला प्रशासन के द्वारा मुआवजा राशि प्रदान की थी। परंतु मुआवजा राशि देने में भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर धांधली का आरोप कुछ कटाव पीड़ित परिवारों के द्वारा लगाया गया था।

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