कहलगांव दियारा के 12 सीट बहियार में होने वाली खेती से टीनटंगा गांव के कई घरों में चूल्हा जलता है. यही कारण है रोजाना कामगार महिलाएं और पुरुष अपने बच्चों के साथ काम पर जाते हैं. गुरुवार को आठ बजे दर्शन मांझी की बड़ी नाव पर पहले खाद का बोरा लोड किया गया. फिर दूध के खाली कंटेनर, 20 से 25 साइकिल और दो मोटरसाइकिल को लोड किया गया. इसके बाद देखते ही देखते नाव पर महिलाएं अपने अपने बच्चों के साथ और कुछ पुरुष भी सवार होने लगे. मल्लाह को इस बात का अंदाजा था कि नाव ओवरलोड हो रहा है. मल्लाह बार बार बोल रहा था, अब नाव पर ज्यादा लोग मत चढ़िए, मैं तुरंत वापस आ जाउंगा लेकिन जल्दी काम पर पहुंचने की जल्दी ने हर किसी ने उसकी बात को नजरअंदाज कर दिया. मल्लाह दर्शन मांझी कहते हैं कि नाव पर लगभग सवा सौ लोग सवार हो गए थे. जब नाम से कोई उतरने को तैयार नहीं हुआ तो दर्शन माझी ने किनारे से बनी नाव की रस्सी खोल दी और नाव में लगी सीधी को हटाने के लिए नाव में धक्का मारा. धक्का लगते ही ना 3 से 4 फीट नदी की ओर आगे बढ़े और असंतुलित होकर पहले तट की ओर झुक गया. इस क्रम में नाम पर टच की ओर बैठे लोग असंतुलित हो गए और पानी में कूद गए. इस घटना को करीब से देख रहे हैं लोगों ने बताया कि ताकि और ना के झुकने से करीब 50 से 60 व्यक्ति कमर भर पानी में या फिर छाती भर पानी में कूद गए और पानी से बाहर निकल आए. एक तरफ लाओ हल्की हो जाने के कारण नदी की तरफ दबाव बढ़ गया और ना देखते ही देखते पूरी तरह से नदी में पलट गई. फिर गंगा तट पर चीख-पुकार मच गई. नाव पर सवार पुरुष सदस्य पानी से बाहर आने लगे तो कई पुरुष सदस्यों ने महिलाओं और बच्चों को सहारा देकर बाहर निकाला. मल्लाह नाव पर चढ़ भी नहीं सका था उसने अपनी लूंगी को फेंक कर कई लोगों की जान बचाई तो दूसरी तरफ नाव पर लोड दूध के कंटेनर के सहारे भी कई लोग बाहर निकले. बाहर निकले लोगों ने गांव के ही बात से लोगों को बचाना शुरू किया. घटना के समय घाट पर मौजूद लोगों ने कहा कि घाट पर वही रूके जिस की स्थिति गंभीर थी बाकी लोग जान बचने के बाद अपने घर की ओर प्रस्थान कर रहे थे. स्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि करीब 25 से 30 लोगों को नदी से सुरक्षित बाहर निकाला गया. जिसमें 17 से 18 महिलाएं, और लड़कियां थी जिनकी स्थिति गंभीर थी और सबों का इलाज गोपालपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कराया गया. स्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि 9:00 पर 10 से 15 ऐसे बच्चे सवार थे जो 2 या 3 वर्ष से भी कम उम्र के थे. जिसमें महज एक को पानी से निकाला जा सका. प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि घटना के बाद इस तरह अफरा-तफरी फैल गई थी कि वे लोग पक्के तौर पर नहीं कह सकते हैं कि कितने लोग लापता हैं लेकिन 10 से भी अधिक लोगों को उन लोगों ने अपनी आंखों से डूबते हुए देखा है.
जाको राखे साइयां मार सके ना कोई
नाव डूबने के बाद तैर कर बाहर निकले जगमोहन मंडल ने कहा कि एक महिला अपने 6 माह के बच्चे के साथ नाव पर बैठी थी. जब पहली बार नाव 60 डिग्री तक तट की खोज झुकी तो महिला असंतुलित होकर तट पर ही गिर गई और उसका बच्चा नाव पर गिर गया. जब दूसरी बात नदी की और नाव पलट गई तो वह बच्चा नदी में चला गया. बच्चा कपड़े से लिपटा हुआ था और कपड़े के नीचे एक प्लास्टिक का बोरा था जिसके कारण बच्चा नदी में तैरता रहा. एक दहीयार ने तैरकर बच्चे को सकुशल उसकी मां को सुपुर्द किया. बच्चे की जान बचाने के बाद उस महिला ने बच्चे को सीने से लगा लिया और घर की ओर रवाना हो गई.