नवगछिया के चैती दुर्गा स्थान में आयोजित हो रहा रामलीला
नवगछिया नगर परिषद के चैती दुर्गा मंदिर परिसर में रामलीला का मंचन किया जा रहा है यह रामलीला काशी उत्तर प्रदेश से पहुंचे रामलीला मंडली द्वारा किया जा रहा है । इस बाबत मौके पर उपस्थित पंडित अजीत बाबा ने बताया कि भारतवर्ष के काशी विंध्याचल मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश के विनोद कुमार द्वारा आमंत्रित काशी बनारस के कलाकारों द्वारा भव्य श्री रामलीला महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है यह आयोजन 28 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 05 नवंबर तक चलेगा । प्रत्येक दिन कार्यक्रम का आयोजन संध्या 8:00 बजे से रात्रि 11:00 तक किया जाता है वहीं रविवार को मुनि आगमन एवं तड़का तथा मारीच का का कथा प्रसंग के साथ झांकी की प्रस्तुति हुई रामलीला मंचन कर रहे कलाकारों ने अपने संवाद और भाव से उपस्थित लोगों को भाव विभोर कर दिया ।
एक दृश्य आया जब महर्षि विश्वामित्र राजा दशरथ के पास उनके पुत्र की मांग करने पहुंचे तो भव्य स्वागत के बाद जब राजा दशरथ से कहा तो राजा दशरथ रो पड़े हे राजन मुझे किस धर्म संकट में डाल दिया वहीं मार्मिक दृश्य पर सभी लोग मार्मिक मुद्रा में आ गए ।
वहीं मौके पर प्रदर्शित नाटक मंचन में दिखाया गया कि किस तरह ताड़का, सुबाहु और मारीच के आतंक से विश्वामित्र के अलावा जंगल में वास करने वाले अन्य संत जन भी परेशान थे। वह नियमित यज्ञ कार्य भी नहीं कर पा रहे थे। दुष्ट प्रकृति का सुबाहु यज्ञ स्थल पर मरे प्राणियों की हड्डी बिखेर देता। इससे परेशान होकर विश्वामित्र ने विचार किया और निर्णय लिया कि यज्ञ की रक्षा के लिए अयोध्या नरेश से राम और लक्ष्मण को मांग लें।
इसके बाद वह अयोध्या पहुंच गए। अयोध्या में उनका स्वागत राजा दशरथ ने किया। इसके बाद अयोध्या आने का कारण पूछा। तब उन्होंने उनसे राम और लक्ष्मण को मांग लिया। शुरू में तो राजा दशरथ पुत्र देने से इन्कार कर देते हैं कहते हैं कि आप चाहें तो मेरी सेना ले लें या उन राक्षसों का वध करने के लिए मैं चलूंगा । मोह के कारण राजा दशरथ राम लक्ष्मण को नहीं दे रहे थे। वह असमंजस में डूब गए।
गुरु वशिष्ट की सलाह पर महाराज दशरथ ने विश्वामित्र को राम और लक्ष्मण को सौंप दिया। विश्वामित्र अयोध्या से राम-लक्ष्मण को लेकर अपने आश्रम वापस लौट आये। जब राम-लक्ष्मण विश्वामित्र की कुटिया की ओर जाते हैं उन्हें मार्ग में ताड़का नाम की राक्षसी मिलती है। भगवान उसको एक ही बाण से मार देते हैं। आश्रम में रहकर राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के यज्ञ स्थल की रक्षा करने लगे। यज्ञ के समय पर मारीच को वाण मारकर लंका भेज देते हैं और सुबाहू का वध कर देते हैं। इससे जंगल में रहने वाले अन्य साधु-संतों ने अपने को सुरक्षित महसूस किया।
वहीं कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित चैती दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष संदीप कुमार ने बताया कि नवगछिया के लिए यह गौरव की बात है कि काशी विंध्याचल के कलाकार नवगछिया में आकर रामलीला का मंचन कर रहे हैं । इसमें नगर वासी के लोग आकर रामलीला का आनंद उठा सकते हैं एवं अपनी ओर से सहयोग कर सकते हैं रामलीला को सफल बनाने में अपना भी सहयोग कर सकते हैं । वहीं रविवार को हजारों की संख्या में लोगों की उपस्थिति मौजूद थी रामलीला का मंचन रात्रि 11:00 बजे तक किया गया ।