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नवगछिया के चैती दुर्गा मंदिर में आयोजित हो रहा रामलीला

नवगछिया के चैती दुर्गा मंदिर में आयोजित हो रहें ऐतिहासिक रामलीला के आठवें दिन शनिवार को विंध्याचल व काशी से आए कलाकारो ने अध्भुत प्रस्तुति दी । कलाकारों नें लक्ष्मण मेघनाद युद्ध, राम विलाप , संजीवनी बूटी लाना …. इत्यादि दृश्यों का प्रस्तुतिकरण हुई । कलाकारों नें दिखाया कि मेघनाद की शिक्षा दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य के निर्देशन में हुई थी. गुरु की सहायता से ही उसने सप्तयज्ञ किए थे. इन यज्ञों से खुश होकर उसे भगवान शिव ने दिव्य रथ, दिव्य अस्त्र और कई मायावी शक्तियां/सिद्धियां दी थीं. मेघनाद ने अपनी इन्हीं दिव्य शक्तियों का प्रयोग देवताओं से युद्ध के दौरान किया था. दरअसल देवताओं पर आक्रमण लंकापति रावण ने किया था. युद्ध के दौरान देवताओं ने रावण की सेना को बड़ी क्षति पहुंचाई. तब मेघनाद ने यज्ञ से हासिल की हुई अपनी मायावी शक्तियों का इस्तेमाल किया था. उसने माया से पूरे युद्धक्षेत्र में अंधकार फैला दिया और इंद्र को बंधक बना लिया. मेघनाद त्वरित गति से युद्ध से बाहर निकल गया और इंद्र को लेकर लंका पहुंच गया.

मेघनाद ने युद्ध में इंद्र को बंधक बना लिया था. बाद में इंद्र को छोड़ने के बदले में मेघनाद को इंद्रजीत ब्रह्मा ने ही कहा था.
इंद्र के गायब हो जाने से देवताओं में हाहाकार मच गया. जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो परेशान देवता ब्रह्मा के पास पहुंचे. ब्रह्मा ने मेघनाद से इंद्र को छोड़ने के लिए कहा और बदले में तीन वरदान दिए. ब्रह्मा ने मेघनाद को इंद्रजीत का नाम दिया और कहा कि अब उसे इसी नाम से जाना जाएगा. ब्रह्मा ने मेघनाद को कई सिद्धियां भी दी. एक विशेष वरदान ब्रह्मा ने मेघनाद को दिया जो उसकी मौत का कारण भी बना. ये वर था कि किसी भी युद्ध से पूर्व मेघनाद के लिए अग्नि से रथ निकलेगा. इसी रथ पर बैठकर उसे युद्ध लड़ना होगा. वह हमेशा अपराजेय रहेगा. लेकिन अगर यज्ञ में बाधा हुई तो मेघनाद मारा जाएगा.
जब राम और लक्ष्मण ने रावण की सेना का संहार करना शुरू किया तो रावण चिंतित हो गया. फिर कुंभकर्ण भी यु्द्ध में मार दिया गया. इसके बाद रावण ने मेघनाद से कहा कि वह युद्ध में जाए और जीत कर लौटे. मेघनाद ने युद्ध से पहले ब्रह्मा के वरदान के मुताबिक अपनी कुल देवी निकुंभिला के मंदिर में यज्ञ शुरू किया. युद्ध में जाने से पहले मेघनाद ने राक्षसी हवन किया. रीति के मुताबिक एक काले बकरे को अग्नि में प्रवाहित कर दिया. कहते हैं इससे प्रसन्न होकर अग्नि ने खुद उसको जीत का वरदान दिया.

युद्ध के दौरान मेघनाद ने लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया

जब मेघनाद युद्ध में पहुंचा तो उसने अपनी मायावी शक्ति से सीता का निर्माण किया. उसने मायावी शक्ति का इस्तेमाल कर सीता को मरा हुआ दिखाया जिससे युद्ध में वानरों ने लड़ना बंद कर दिया. इसी युद्ध में उसने लक्ष्मण पर नागपाश बाण छोड़ा था. जिसका आघात लक्ष्मण बर्दाश्त न कर सके. युद्ध बंद हो गया. राम ने संजीवनी लाने हनुमान को भेज दिया और उधर मेघनाद एक बार फिर अपना यज्ञ पूरा करने में लग गया.

कुछ समय बाद जब लक्ष्मण ठीक हो गए तो मेघनाद के साथ फिर युद्ध होना था. इसी समय लक्ष्मण को यह जानकारी मिली कि मेघनाद को हराने का एक ही रास्ता उसका यज्ञ पूरा न होने देना है. मेघनाद युद्ध से पहले एक बार फिर अपना यज्ञ चालू कर चुका था. वह युद्ध के पहले एक विशालकाय वृक्ष के पास भूतों की बलि भी देता था जिससे वह युद्ध के दौरान अदृश्य हो सके.

इस यज्ञ के दौरान ही लक्ष्मण बाधा डाली. वो उसी विशालकाय वृक्ष के पास मेगनाद का इंतजार करते रहे. इस दौरान जब मेघनाद वहां पहुंचा तो लक्ष्मण ने यज्ञ से निकले घोड़े और सारथी पर प्रहार कर मार डाला. गुस्से में मेघनाद अपने महल वापस लौटा और फिर वहां से दूसरे रथ पर रणभूमि में पहुंचा. एक बार फिर दोनों का युद्ध हुआ मेघनाद मारा गया.

बताते चलें कि नवगछिया नगर परिषद के चैती दुर्गा मंदिर परिसर में रामलीला का मंचन किया जा रहा है यह रामलीला काशी उत्तर प्रदेश से पहुंचे रामलीला मंडली द्वारा किया जा रहा है । इस बाबत मौके पर उपस्थित पंडित अजीत बाबा ने बताया कि भारतवर्ष के काशी विंध्याचल मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश के विनोद कुमार द्वारा आमंत्रित काशी बनारस के कलाकारों द्वारा भव्य श्री रामलीला महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है यह आयोजन 28 अक्टूबर से प्रारंभ होकर आज 05 नवंबर तक चलेगा । प्रत्येक दिन कार्यक्रम का आयोजन संध्या 8:00 बजे से रात्रि 11:00 तक किया जाता है। कथा प्रसंग के साथ झांकी की प्रस्तुति हुई रामलीला मंचन कर रहे कलाकारों ने अपने संवाद और भाव से उपस्थित लोगों को भाव विभोर कर दिया ।

वहीं कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित चैती दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष संदीप कुमार ने बताया कि नवगछिया के लिए यह गौरव की बात है कि काशी विंध्याचल के कलाकार नवगछिया में आकर रामलीला का मंचन कर रहे हैं । इसमें नगर वासी के लोग आकर रामलीला का आनंद उठा सकते हैं एवं अपनी ओर से सहयोग कर सकते हैं रामलीला को सफल बनाने में अपना भी सहयोग कर सकते हैं । वहीं शनिवार को हजारों की संख्या में लोगों की उपस्थिति मौजूद थी रामलीला का मंचन रात्रि 11:00 बजे तक जारी था । आज रविवार को रामलीला का अंतिम संध्या हैं ।

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