विदेशी मेहमानों को देखकर खिल रहें किसानों के चेहरे
नवगछिया- किसान अपनी फसल के साथ-साथ अपने खेतों के दृश्य को देखकर भी प्रसन्न हो जाते हैं । गंगा का दियारा इलाका जो कभी बाढ़ की, कटाव की विभीषिका को देखता है । दियारा अभी विदेशी पक्षी मेहमानों को देख रहा हैं । नवगछिया पुलिस जिले के ग्राम तिनटंगा में विदेशी एशियन बिल स्टार्क पक्षी का आगमन शुरू हो गया।घोंघिल, जिसका वैज्ञानिक नाम ऐनास्टोमस ओस्किटैन्स है, और जिसे एशियाई चोंचखुला भी कहा जाता है, राजबक पक्षियों के ऐनास्टोमस वंश की एक जीववैज्ञानिक जाति है। यह वृहदाकार पक्षी होते हैं, जिनकी चोंच बीच में खुली होती है, जिस से इन्हें घोंघा व अन्य मोलस्का खाने में सहायता होती है। लगभग 100 से भी अधिक पक्षियों ने यहां खेतों के परिसर में लगे पेड़ो में अपना डेरा जमा लिया है। दिसंबर माह में ये पक्षी अंडे देते हैं।
इसके लिए घोसला बनाने की तैयारी करते रहते हैं। पक्षियों को क्षेत्रवासी इसे देवदूत मानते हैं। अधिक संख्या में पक्षियों के आने और बेहतर सर्दी की संभावना को लेकर ग्रामीणों में खुशियां देखी जा रही है।
जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर तिनटंगा करारी में प्रवासी पक्षी एशियन ओपन बिल स्टार्क सर्दी में पहुंचने लगे हैं।प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पक्षी यहां वंशवृद्धि के लिए आते हैं। जुलाई से अगस्त माह के बीच अंडे से चूजे निकल आते हैं। अक्टूबर नवंबर तक ये उड़ान भरने योग्य होने पर ये वापस चले जाते हैंं। धान की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को भी ये नष्ट कर किसानों के लिए सहयोगी होते हैं।
प्रवासी पक्षी एशियन ओपन बिल स्टार्क भारत उपमहाद्वीप के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया के , कमबोडिया, थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेसिशा, श्रीलंका, म्यामार, मलेशिया, फिलिंपिंस, सिंगापुर में पाए जाते हैं। भारत में इसे घोघिंल के रूप से जाना जाता है। भागलपुर जिले में अधिकांश पक्षी यूरोप से आते हैंं। इनकी 20 प्रजाति पाई जाती है। वे इमली, बरगद और पीपल के जिस पेड़ पर ये घोसला बनाते हैं अगले बरस उसी पेड़ पर फिर घोसला बनाते हैं।
क्या कहते हैं वन विभाग के रेंजर
वन विभाग के रेंजर अमन कुमार ने बताया कि प्रवासी पक्षियों का झुंड वन विहार करते अन्य देशों से इधर-उधर नजर आ जाते हैं। उनके विषय में लोगों के पास विशेष जानकारी नहीं होने के कारण इन विलुप्तप्राय पक्षियों के बारे में जान नहीं पाते हैं। जरूरत है इन पक्षियों के संरक्षण की जिन्हें वरीय पदाधिकारियों को अवगत कराते हुए इसे प्रचारित भी किया जाएगा। इन पक्षियों के शिकार करने पर कानूनी पाबंदी है।