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बिहार के तीन जिले भागलपुर, पूर्णिया और मधेपुरा की सीमा पर अवस्थित मुक्तनगर ढोलबज्जा में सद्गुरु मुक्त स्वरूप देव साहब के 110वें जन्मोत्सव पर आयोजित चार दिवसीय विश्व चेतना लोक कल्याण तपस्वी संत शक्ति आदर्श आचार संहिता संज्ञान संत महासम्मेलन का आयोजन पूर्वोत्तर बिहार के चर्चित संत योगेश ज्ञान स्वरूप तपस्वी की अध्यक्षता में शुरू हुई।
इस मौके पर दर्जनों संतों ने अपनी वाणी से श्रद्धालुओं को धर्म का मार्ग बताया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संत योगेश ज्ञान स्वरूप तपस्वी ने सत्संग के पीछे का गहरा अर्थ समझाया और इसके विभिन्न रूपों का वर्णन किया। उन्होंने कहा की सत का अर्थ है स्वयं का परम सत्य, और ‘संग’ का अर्थ है संगति। गाने की शक्ति उसमें निहित है, जितने अधिक लोग उपस्थित होंगे, समूह की ऊर्जा उतनी ही अधिक होगी, और आत्मा उतनी ही स्थिर और स्थिर हो जाएगी। सत्संग के कारण आपकी दृष्टि, वाणी और यहां तक कि आपके विचार भी ऊंचे हो जाएंगे। उन्होंने समाज और सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी खुलकर अपनी बात रखें।

उन्होंने कहा कि समाज, देश और विश्व को बचाना संतों का काम है। लेकिन सरकार संतों को अहमियत नहीं देती है जिसके कारण विश्व में संकट का दौर चल रहा है।
संत पलटू दास ने भी अपनी वाणी से उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर झूमने पर मजबूर कर दिया।
आयोजन को सफल बनाने में ढोलबज्जा थानाध्यक्ष प्रभात कुमार, ढोलबज्जा के पूर्व मुखिया राजकुमार उर्फ मुन्ना मंडल, रूपौली प्रखंड प्रमुख गोपाल मंडल, ढोलबज्जा सरपंच सुशांत कुमार, विकाश भारती, जदयू प्रदेश सचिव प्रशांत कुमार कन्हैया, नाथपुर के पंचायत समिति सदस्य आनंद झा, वार्ड संजय कुमार, खंतर मंडल, संजीत कुमार, राजेश कुमार, बुलेट कुमार, मंटू कुमार सहित दर्जनों सक्रिय कार्यकर्ताओं की महत्ती भूमिका रही।

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