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बिहपुर:बुधवार को सिख धर्म के 10वें गुरु गोविंद सिंह की जयंती प्रखंड के मवि पछियारी टोला औलियाबाद में मनाई गई।विद्यालय में अवकाश होने और बच्चों के लिए शैक्षणिक गतिविधि स्थगित रहने के कारण प्रधानाध्यापक अनिल कुमार दीपक और शिक्षक मु.शमीमुद्दीन,रविशंकर झा,स्वेता कुमारी,रोमा कुमारी,रजनीकांत रंजन,मनीष कुमार,दयानंद यादव व तालिमी मरकज मु. तबरेज आलम आदि ने गुरु गोविंद सिंह के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके कृतित्व को याद किया।प्रधानाध्यापक श्री दीपक ने कहा कि उनका जन्म 1666 ईस्वी में पौष शुक्ल सप्तमी – विक्रम संवत् 1723 में बिहार के पटना साहिब में हुआ था।अपने पिता सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर के बलिदान के उपरांत 11 नवंबर 1675 ईस्वी को सिख धर्म के 10 वें गुरू बनें।वे एक महान योद्धा,

चिंतक ,भक्त एवं आध्यामिक नेता थे। उनका पूरा परिवार धर्म की रक्षा के लिए बलिदान हो गए।उन्होंने सदा प्रेम, सदाचार और भाइचारे का संदेश दिया। भक्ति और शक्ति का संगम होने के कारण उन्हें आदर के साथ संत सिपाही भी कहा जाता है।श्री दीपक ने कहा कि1699 ई. में उन्होंने खालसा पंथ’ की स्थापना की।उन्होंने 5 ककारों का महत्व खालसा के लिए समझाया और कहा कि केस, कंघा, कड़ा,कृपाण और कच्चेरा।अपने दोनों साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह जिनके बलिदान पर वीर बाल दिवस मनाया जाता है। अपने साहिबजादों के बलिदान पर औरंगजेब को एक पत्र लिखा और चेताव‌नी दी कि तेरा साम्राज्य नष्ट करने के लिए खालसा पंथ तैयार हो गया है।

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