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नवगछिया। बिहपुर प्रखंड के मिल्की गांव स्थित दाता मांगन शाह रहमतुल्ला अलेह की शान निराली है। इनके रहमत का करिश्मा अब भी जारी है। उनके मजार पर एक छुट्टी मिट्टी से लोगों की मुरादे पुरी होती है। इलाके में इन्हें पीर बाबा कह कर उनके प्रति आस्था बताते हैं। उनकी इबादत खरते हैं। यहां सालाना उर्स पर हिन्दू कायस्थ परिवार से पहली चादरपोशी की जाती है। यहां के बड़े बुजुर्गों का कहना है कि जब स्व लालबहादुर मजूमदार को हत्या के मामले में कोलकाता हाईकोर्ट से दे गई तब फांसी की सजा से अपनी रुहानी ताकतों से बचा लिया था। उनके निधन पर कानूनगो ने उन्हें मिट्टी दी थी और उनके सालाना उर्स पर पहली चादर पोशी हिन्दू कायस्थ परिवार के लोगों द्वारा किया जाता है। यह सब उनकी इच्छा से हुआ था। इसके बाद से यह परंपरा शुरु से चली आ रही है, जो अब तक जारी है।

इस दरगाह पर हर साल अंतरराष्ट्रीय ख्याति भव्य मेला लगता आ रहा है। मसहूर सूफी संत पीर हजरात दाता मांगनशाह रहमतुल्ला अलेह का सालाना उर्स आगामी 27 फरवरी से शुरू होगा। इसकी तैयारी पुरी कर ली गई है। मेला प्रक्षेत्र को आकर्षक ढंग से लाइटों व डेकोरेटिंग से सजाया गया है। मेले में हर तरह की सैकड़ो दुकानें सजाई जा रही है। दर्जनो प्रकार के झूले, ब्रेक डांस, तारामाची, नौका, बैलून आदि झूला लगाया जा रहा है। मेले के चारो ओर दर्जनो झूले आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। उर्स इंतजामिया कमेटी के सदस्यों ने बताया कि उर्स की पहली चादरपोशी बिहपुर कायस्थ टोला के उज्जवल कुमार दास सपरिवार 27 फरवरी को रात के 12 बजकर 5 मिनट पर करेंगे। इनके बाद दूसरी चादरपोशी बिहपुर अंचलाधिकारी बिहार सरकार की ओर से की जाऐगी।

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