कुमार धनंजय सुमन
बिहपुर एक ऐसा नाम है जो कई इतिहास को अपने जेहन में समेटे हुए है फिर चाहे गुआडीह जैसा पौरान्विक स्थल हो या आजादी की कहानी कहता सोनवर्षा का फांडी कांड हो या बिहपुर का जीआरपी थाना जिसमें देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को बंद किया गया था या गौरीपुर का नील कोठी हो या स्वराज आश्रम हो या 1857 की क्रांति का गवाह गणेशहीदा मैदान हो या ब्रजलेश्वर धाम हो या दादा मांगन
साह का मज़ार हो या वाम काली हो या फिर लगभग तीन सौ वर्षों की कहानी कहता राम जानकी ठाकुड़बाड़ी हो। ये सभी बिहपुर के इतिहास के गवाह के रूप में आज भी मौजूद है।
फनीश्वर नाथ रेणू की कहानी संवदीया में भी बिहपुर रेलवे स्टेशन और बड़ी बहु प्रखंड के विक्रमपुर गांव से जुड़ी हुई है। पर आज इस बिहपुर प्रखंड की बदहाली की कहानी भी किसी से छुपी हुई नहीं है। चुनावें आती गई वादों की लड़ियां गढ़ती चली गई पर आज तक बिहपुर.
बाजार की बदहाली जस की तस रह गई। बिहपुर बाज़ार की बात करें तो यहां समस्या का अंबार है। बाजार को जोड़ने वाली मुख्य सड़क बदहाली के कारण दुर्घटना का पर्याय बनी हुई है। हल्की बारिश हुई नहीं की
सड़क पर पानी भर आता है। हर तरफ कचरों का ढेर लगा रहता है। इन छोटे तालाबों को पार कर ग्रामीण ही नहीं जनप्रतिनिधि एवं पदाधिकारी भी बिहपुर आते हैं। विधायक, सांसद,
मंत्री व जिलाधिकारी हर किसी को इन मुश्किल भरे सड़कों को पार कर ही बिहपुर मुख्यालय पहुंचना पड़ता है, पर जन समस्या पर किसी का नज़र नहीं पड़ती है। आलम तो यह है की प्रखंड कार्यालय के सम्मुख हीं पानी का जमाव रहता है। बाज़ार ने जल निकासी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई तो बदहाल सड़के मूँह चिढ़ाती नज़र आती है। बिहपुर में एक स्टेडियम तो बना पर खेल खिलाड़ी के लिए पर यहाँ तीन महीने बत्तक पालन केंद्र आसानी से चलाई जा सकती है। बिहपुर में रेफरल हॉस्पिटल तो बना
पर रहने की जगह नहीं मिलने के कारण चिकित्सा पदाधिकारों को बाहर से हीं आना जाना पड़ता है। हॉस्पिटल में कई वर्षों से महिला चिकित्सक आई हीं नहीं हैं और प्राईवेट में भी महिला चिकित्सक का अभाव है । इन समस्या को लेकर ऐसा नही आवाज नही उठाई जाती है। पर आज तक ना प्रतिनिधि को प्रभाव पड़ा ना पदाधिकारी को प्रभाव पड़ा। ऐसे में अब केवल बिहपुर की जनता के लिए बदलाव के इंतजार के बजाय कुछ शेष नहीं रह जाता है। चुनाव नजदीक है तो कोई बड़ी बात नही की कई नेता फिर से बिहपुर के आवाम को बिहपुर से महादेवपुर घाट तक रेल परिचालन पुन: चालू करवाने की घोषणा करते दिख जाएँ । नेता बदले पार्टी बदली पदाधिकारी बदले और नही कुछ बदला तो बस बिहपुर की तकदीर ।