- वैदिक विधि से होता हैं पूजन
- 24 अक्टूबर को होंगी स्थापित और 26 अक्टूबर को विसर्जन
बिहपुर – औलियाबाद स्थित श्री- श्री 108 पुरानी काली मां का मंदिर सिद्ध शक्तिपीठ के नाम से विख्यात है. यह काली मां पुरानी काली के नाम से विख्यात है. यहां करीब 1820 ईo से मां की पूजा हो रही है.पहले मंदिर कच्ची बना हुआ था. ग्रामीणों के सहयोग से मां भव्य पक्का मंदिर बनाया गया है. मां की पूजा करने बहुत दूर -दूर से भक्त आते है. यहां के प्रधान पुजारी बनारस के पंडित आदित्य मिश्रा व विक्की झा ने बताया की पुरानी काली मां का पूजा वैदिक विधि विधान से होता है.वही पूजा महासमिति के अध्यक्ष डॉक्टर नवल किशोर चौधरी , सचिव संजय कुमार डोकानिया,कोषाध्यक्ष अशोक कुमार डोकानिया और सोनू मिश्रा ने.
बताया की 24 अक्टूबर की रात्रि करीब दस बजे मां पिंडी पर स्थापित होगी एवं विसर्जन 26 अक्टूबर की संध्या चार बजे स्थानीय मटिहानी पोखर में किया जाएगा।मां के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई मुराद देर सबेर जरूर पूरी होती है. वही पूजा कमिटी के सदस्य कृष्ण मोहन मिश्र ,अजय मिश्र ,सुनील मिश्र ,अनिल शर्मा ,सदानंद शर्मा ,नवीन मिश्र ,राजीव चौधरी ,निशांत चौधरी ,सुभाष मिश्र ,रुपेश मिश्र ,शिव नंदन साह आदि ने बताया की मां काली के दरबार से कोई भक्त खाली नही लौटता है.भक्तों की मनोकामना पूरा होने प्रसाद आदि चढ़ाया जाता है।मां के दरबार में दूर -दूर से भक्त आकर मां की पूजा अर्चना करते है।मां की पूजा में ग्रामीण नवयुवक बढ़चढ़ कर भाग लेते है.