भागलपुर/निभाष मोदी
बच्चे जब पूछते हैं कि हमलोग कब दिवाली मनाएंगे तो पिता की आंखें हो जाती हैं नम
भागलपुर, एक तरफ जहां लोग दिवाली और काली पूजा की खुशियां मना रहे हैं वहीं दूसरी और भागलपुर के सबौर प्रखंड के इंग्लिश गांव में लोगों को कटाव का दंश झेलना पड़ रहा है, पूरे सूबे में एक गांव ऐसा भी है जहां के लोगों ने दिवाली नहीं मनाई, एक तरफ जहां लोग दिवाली और काली पूजा की खुशियां मना रहे हैं वहीं दूसरी और भागलपुर के सबौर प्रखंड के इंग्लिश गांव में लोगों को कटाव का दंश झेलना पड़ रहा है, पूरे सूबे में एक गांव ऐसा भी.
है जहां के लोगों ने दिवाली नहीं मनाई, रात भर रतजगा कर अपने आशियाने से दूर अपने घरों को टकटकी लगाए देखते रहे और यह सोचते रहे कि कब हमारा घर भी ताश के पत्ते की तरह गिरकर गंगा में समा जाएगा , गांव के लगभग सभी घर इस कदर जर्जर स्थिति में आ गए हैं कि छूते ही ताश के पत्ते की तरह भरभरा कर नीचे गिर जाते हैं, सभी घरों के नींव कमजोर हो चुके हैं, लोग अपने ही आशियाने में जाने से डर रहे हैं । दीपावली के दिन से ही तेज हवाएं उठने लगी है और कटाव तेजी से हो रहा है, दर्जनों घर गंगा में जलमग्न हो चुके हैं ,आज गांव की मुख्य सड़क भी गंगा में समा गई।
बच्चे पूछते हैं हम लोग दिवाली कब मनाएंगे तो आंखें भर आती हैं
गांव के लोगों ने कहा जब सर छुपाने के लिए आशियाना ही उजड़ चुका है, हमलोग सड़कों पर आ गए हैं, खाने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं है पशुओं को खिलाने के लिए चारा तक नहीं है तो दिवाली कैसे मनाएं, हमलोगों का घर कटकर गंगा के आगोश में तेजी से सामाता जा रहा है लेकिन प्रशासन और सरकार को इसकी तनिक भी चिंता नहीं, दूसरे गांव से पटाखे की आवाज आती है तो बच्चे पूछते हैं क्या हमलोग दिवाली नहीं मनाएंगे इस समय हमलोगों की आंखें भर आती हैं।
गांव की महिलाएं व पुरुष कटाव से लड़ने के लिए खुद हो रहीं तैयार
इसी गांव के ग्रामीण रामसेवक शाह ने बताया कि हम लोग इस गंगा के कटाव का दंश तकरीबन 2 महीने से झेल रहे हैं पहले तो बहुत तेजी से गंगा का जलस्तर बढ़ा स्थिर हुआ और अब गंगा के जलस्तर की घटने की बारी जब है तो बहुत ज्यादा मेरे गांव की क्षति करते हुए लौटने के क्रम में है ,महिलाएं रात दिन गंगा मां को मनाने के लिए पूजा अर्चना कर रही है ,गंगा मां के पारंपरिक लोक गीत के बंदौनी को गाकर कटाव रोकने का गुहार लगा रही हैं वहीं गांव के पुरुष वर्ग के लोग खुद नाव से बालू भरी बोरियां डालकर कटाव स्थल को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन गंगा की इतनी तेज धारा है कि उस बालू भरी बोरियों को भी बहाकर चली जाती है ,इसके अलावा बांस की जाली बनाकर भी कटाव रोकने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन गंगा की रफ्तार इतनी तेज है कि यह रुकने का नाम नहीं ले रहा। पहले दर्जनों घर गंगा की आगोश में समाया अब गांव की मुख्य सड़कें भी गंगा में समा गई लोगों को आने जाने के लिए रास्ता भी नहीं बचा।