लेखनी : ऋषव मिश्रा कृष्णा ‘मुख्य संपादक ‘ जीएस न्यूज़
- 1954 में स्थापित किया गया था अस्पताल
नवगछिया प्रखंड के खगड़ा गांव स्थित आयुर्वेद अस्पताल पिछले बीस वर्षों से जीर्णोद्धार की बाट जो रहा है।
एक समय था कि अस्पताल में चिकित्सक, कंपाउंडर, ड्रेसर व एक चतुर्थ वर्गीय कर्मी से भरा था। इलाके के पचास गांव से मरीज अस्पताल में इलाज के लिए आते थे। अस्पताल में आयुर्वेद के तहत उस समय के असाध्य रोग टीवी, दम्मा, लकवा जैसे रोगों का इलाज होता था। अस्पताल में पर्याप्त दवाई उपलब्ध रहती थी।
लेकिन आयुर्वेद चिकित्सा के प्रति सरकार को उदासीनता को लेकर धीरे धीरे प्रतिनियुक्त चिकित्सक व कर्मी सेवा निवृत्त होते गए और अस्पताल खाली होता चला गया। अस्पताल में चिकित्सक व कर्मी की पोस्टिंग नहीं हुई, दवाई आना बंद हो गया।
चिकित्सक व कर्मी के सेवा निवृत्त होने के बाद अब पिछले 20 वर्षों से यह अस्पताल बंद पड़ा है। पिछले 20 वर्षों से इलाके के लोग इस अस्पताल से मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं से वंचित हैं।
- 1995 से अस्पताल में घटने लगी सुविधा, 2000 ई तक हो गया बंद
खगड़ा के ग्रामीण सह सेवा निवृत्त शिक्षक अरुण सिंह इंद्रभुवन प्रसाद सिंह ने कहा कि हम लोग अब बूढ़े हो चुके हैं लेकिन यहां अस्पताल वर्षों पुराना है। इस अस्पताल में चिकित्सक व दवाई हमेशा उपलब्ध रहते थे। वर्ष 1995 तक अस्पताल बेहतर तरीके से संचालित रहा।
वर्ष 1995 के बाद से चिकित्सक व कर्मी सेवानिवृत्त होते गए और 2000 तक अस्पताल के एक कर्मी को छोड़कर सभी सेवानिवृत्त हो गए। अस्पताल में दवाई आना भी बंद हो गया। 10 वर्ष पहले अस्पताल के कर्मी केपी भगत सेवानिवृत्त हुए।अस्पताल के बंद रहने से इलाके के लोगों को मिलने वाली सुविधा बंद हो गई।
स्थानीय लोगों ने कहा कि एनएच एवं 14 नंबर सड़क के मध्य स्थित यह अस्पताल चालू हो जाने के बाद लोगों के लिए काफी लाभप्रद होगा। स्थानीय लोगों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं स्थानीय प्रशासन से अस्पताल को चालू करवाने की दिशा में पहल किए जाने की मांग की है।
- 1954 में खुला था खगड़ा में आयुर्वेद अस्पताल
वर्ष 1954 ईस्वी में खगड़ा में आयुर्वेद अस्पताल की स्थापना की गई थी। खगड़ा गांव के बाबू बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह ने 22 कट्ठा जमीन अस्पताल को दान देकर अस्पताल को खुलवाया था। बाबू बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह के वंशज अंशु आनंद बताते हैं कि उनके परबाबा बाबू बिंदेश्वरी प्रसाद सिंह ने अपने छोटे पुत्र बैकुंठ प्रसाद सिंह टीवी बीमारी से पीड़ित होने के बाद अस्पताल की स्थापना किए जाने की दिशा में पहल किया था।
उन्होंने बताया कि बिंदेश्वरी बाबू के छोटे पुत्र बैकुंठ प्रसाद सिंह अंग्रेज सरकार में ऑफिसर थे। इस दौरान वे टीवी बीमारी से पीड़ित हो गए थे। टीवी बीमारी होने के बाद उनका सही तरीके से इलाज नहीं हो पाया था।जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी। अपने छोटे पुत्र की मौत के बाद उन्होंने यह सोचा कि इलाके के लोग इलाज के अभाव में नहीं मरे इसको लेकर उन्होंने 22 कट्ठा जमीन दान में दिया और आयुर्वेद अस्पताल खुलवाए।
उन्होंने कहा कि यह अस्पताल इलाके के लिए धरोहर है। इस अस्पताल को सरकार अगर पुनः चालू करती है तो इलाके के लोगो को इसका काफी लाभ मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि विक्रमशिला पुल पहुच पथ व 14 नवर सड़क के बीच यह अस्पताल स्थिति है। चिकित्सा सुविधा आरंभ होने से घटना दुर्घटना में घायल होने वाले मरीजों को भी तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो पाएगी।