पूर्व मुखिया व बड़े भाई अवधेश साहू बने मार्गदर्शक, छोटे भाई ने किया अनुसरण
पूर्व बिहार की पहले उद्योग की पड़ी नींव, उद्योग मंत्री भी हुए मुरीद
रूप कुमार, लीगल जर्नलिस्ट, भागलपुर, बिहार
ये कहानी है नवगछिया के एक गांव साहू परबत्ता की। इस गांव के पूर्व मुखिया अवधेश साहू जिन्हें लोग गांव में प्यार से चाचा कहते हैं की एक सीख व सोच ने ने उनके पूरे परिवार की दुनिया बदल दी है। पहले ये परिवार लखपति परिवार था लेकिन संयुक्त परिवार व आपस में मिलकर काम करने की प्रवृति ने इस परिवार को अब करोड़पति परिवार बना दिया है। इतना ही नहीं अब गांव से लेकर बाहर के लोग भी परिवार की एकता देखकर उसकी मिसाल देने लगे हैं। पूर्व बिहार के पहले एथेनॉल उद्योग की नींव भी सरकारी प्रयास से इसी परिवार ने डाली है। नवगछिया के जाह्नवी चौक यानी हाइलेवल चौक के पास नवगछिया –भागलपुर मार्ग पर इस परिवार ने अपने व्यवसाय को कारोबार को एक ही छत के नीचे शुरु किया है।
अब कारोबार करोडों में पहुंचा तो इस परिवार की कामयाबी से सीख लेने लोग दूर–दूर से उनके पास पहुंच रहे हैं। अभी हाल ही में बिहार सरकार के द्वारा 95 करोड़ की लागत से बनने वाली एथेनॉल कारखाना की नींव यहां उद्योग मंत्री सह भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन के द्वारा रखी गई है। खुद उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन भी इस परिवार में आपसी प्रेम व व्यवसाय करने की धुन देखकर उनके मुरीद हैं। इस परिवार के पास अपना सृजन चक्की आटा, साहू ब्रिक्स, श्यामा प्लाई ऐस ब्रिक्स, साहू पेट्रोलियम, साहू कोल्ड स्टोरेज आदि एक ही छत के नीचे यानी सिंगल विंडो सिस्टम में है। पूरी तरह किसान परिवार से आने वाला साहू परिवार अपनी सादगी व अपनी संस्कृति को पूरी तरह मेंटन रखता है। घर के सबसे बड़े अभिभावक पूर्व मुखिया अवधेश साहू उम्र के इस पड़ाव में भी अपने संस्कारों को अपने बच्चों में पिरोए हुए हैं।
उनके छोटे भाई महेश साहू जहां ईंट व्यवसाय का कारोबार देखते हैं वहीं धीरज साहू पेट्रोलियम का व्यवसाय देखते हैं। बड़े भाई नीरज साहू व छोटे भाई प्रीतम साहू आटा चक्की, कोल्ड स्टोरेज, एथेनॉल कारखाना आदि का कारोबार संभालते हैं। साहू परिवार से जुड़ा यह परिवार हमेशा किसानों के हितों की बात करता हैं। इस परिवार की पहल के कारण अभी के समय इलाके ही नहीं बल्कि दस जिलों के करीब दस हजार से अधिक किसानों को सीधे बाजार मिल गया है। थ्री ब्रदर्स व टू पैरेंटस के इस परिवार ने समाज को यह भी संदेश दिया है कि एकता में कितना बल है। जबकि आज के समय में जब समाज व गांव में संयुक्त परिवार ताश के पत्ते की तरह बिखर रहा है वहीं इस परिवार ने संयुक्त रखकर अपने कारोबार को केलांचल में चमका कर समाज को संयुक्त परिवार की परिकल्पना से टूटने से बचाने की भी प्रेरणा दी है।