@ पत्र के जरिए अंग क्षेत्र को मैथिल क्षेत्र तथा यहां की भाषा मैथिली भाषा को प्रवेशिका की किताब में नहीं बताया जाए तथा पुस्तकों में वर्णित तथ्य को शुद्ध करने की अपील की गई है।
प्रदीप विद्रोही
भागलपुर। एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित 104 किताबों में अंगिका भाषा को शामिल न करने और हाल में प्रकाशित प्रवेशिका किताब में अंग क्षेत्र को मैथिल क्षेत्र और यहां की भाषा को मैथिली बताने के मुद्दे पर अंग क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता, कवि, साहित्यकार और सामाजिक संगठनों में गुस्सा है। इस फैसले के खिलाफ सभी आंदोलनरत हैं। इस त्रुटि को सुधारने के लिए अंग जन गण के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुधीर मंडल ने बुधवार को एनसीईआरटी के निदेशक चंद्रपाल सिंह को पत्र लिखकर इसे सुधारने की अपील की है।
डॉ मंडल ने अपने पत्र में कहा है कि बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लगभग 26 जिलों में अंगिका भाषा बोली जाती है, जबकि मैथिली भाषा बिहार के सिर्फ दो जिलों में प्रमुखता से बोली जाती है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित प्रवेशिका की किताब में देश भर की 104 भाषाओं के बारे में जानकारी दी गई है, लेकिन अंगिका भाषा को इसमें शामिल नहीं किया गया है। इसके बजाय अंग क्षेत्र को मैथिल क्षेत्र और यहां की भाषा को मैथिली बताया गया है, जो पूरी तरह से अनुचित और गलत है।
अंततः डॉ. मंडल ने आग्रह किया है कि अंग क्षेत्र को मैथिल क्षेत्र और यहां की भाषा को मैथिली बताने वाली त्रुटि को जल्द से जल्द सुधारते हुए उचित तथ्यों के साथ किताबों को प्रकाशित किया जाए।