मंजूषा शैली में रंगों का चल रहा विवाद, कलाकारों ने दी अपनी अपनी राय
रिपोर्ट:-निभाष मोदी, भागलपुर।
भागलपुर, जिस प्रकार मधुबनी पेंटिंग भगवान राम और माता सीता की कथा से संबंधित है उसी प्रकार मंजूषा बिहुला विषहरी के कहानियों पर आधारित है,अंग जनपद की धरोहर मंजूषा अपने आप में विशेष कला है, अंग प्रदेश की लोक कला मंजूषा शैली को पहली बार शोध का विषय बनाया गया है, इससे स्थानीय कलाकारों में खुशी की लहर देखी जा रही है, कलाकार शोधकर्ता हेमंत कुमार ने बताया कि अपने अंग प्रदेश की धरोहर अन्य राज्य तक जा रही है ,यह पहली बार शोध का विषय बना है ।उन्होंने बताया कि सबसे पहले अंबानी यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र 3 साल पहले अंग प्रदेश के हृदय स्थल भागलपुर आए थे उसके बाद शोध शुरू किया गया था, वहीं अब पंजाब इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले बिहार के छात्र कुछ दिन पहले यह जानकारी दी कि मेरा शोध अब सबमिट होने जा रहा है।
बताते चले कि छात्र विजय आनंद पंजाब इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हैं, इस पर हेमंत ने कहा कि विजय जब भागलपुर आए थे तब उन्होंने उनकी पेंटिंग देखी फिर उसे शोध का विषय बनाया।
हेमंत कुमार ने कहा कि अगर सरकार इस पर ध्यान दें तो मंजूषा जल्द ही अपनी पहचान बना लेगी, सरकार के उदासीनता के चलते यह आगे नहीं बढ़ पा रहा है,
वहीं दूसरी ओर मंजूषा शैली के रंगों में यहां के कलाकारों में कई भ्रांतियां हैं कुछ कलाकारों का कहना है मंजूषा में तीन रंग होते हैं वहीं कुछ कलाकारों का कहना है इसमें पांच रंग होते हैं, इस पर क्या कुछ कह रहे हैं मनुष्य कलाकार आइए सुनते हैं….