भागलपुर जिले के सन्हौला प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। उप प्रमुख महोदिया निशा देवी की अगुवाई में एक विशेष जांच अभियान के दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति को लेकर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इस जांच से अधिकारियों में हड़कंप मच गया, और कुछ सेविकाएं व सहायिकाएं मौके से फरार हो गईं।
सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं और बच्चों के पोषण के लिए भेजे गए पोषाहार का वितरण और अन्य योजनाओं में भारी लापरवाही की जा रही है। उप प्रमुख महोदिया और पंचायत समिति के सदस्य ने पांच आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया, जिसमें से कई केंद्रों में न तो बच्चे मिले और न ही केंद्रों का संचालन हो रहा था।
केंद्रों की स्थिति:
केंद्र संख्या 15: कोई भी बच्चा मौजूद नहीं था।
केंद्र संख्या 20: 30 बच्चों का नामांकन, लेकिन सिर्फ 17 बच्चे उपस्थित थे।
केंद्र संख्या 146: केवल 18 बच्चे उपस्थित थे।
केंद्र संख्या 22: ताला लटका हुआ था।
केंद्र संख्या 173: यहां एक भी बच्चा उपस्थित नहीं था और टीकाकरण का कार्य सेविका के घर पर हो रहा था।
जब रजिस्टर की मांग की गई, तो सेविका मौके से फरार हो गईं। एक केंद्र पर तो सेविका सुधा भारती द्वारा एक महिला को सुई लगाते हुए देखा गया।
ग्रामीणों की शिकायत:
ग्रामीणों ने बताया कि इन केंद्रों पर बच्चों को नियमित रूप से पोषाहार नहीं दिया जाता है और टीकाकरण भी सही तरीके से नहीं होता। एक अन्य जानकारी के अनुसार, सीडीपीओ और सुपरवाइजर की मिलीभगत से हर महीने अवैध उगाही की जाती है, जो कि 3000 से 5000 रुपये के बीच होती है।
उप प्रमुख ने बताया कि अगर ऐसे ही अनियमितताएं जारी रही तो वह चुप नहीं बैठेंगी और इस मामले की रिपोर्ट जिला पदाधिकारी भागलपुर को सौंपेगी। जांच में कई नामी अधिकारियों का पर्दाफाश हो सकता है।
इस खबर के लिखे जाने तक सीडीपीओ सन्हौला से संपर्क किया गया, लेकिन उनका मोबाइल नंबर बंद पाया गया। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले पर क्या कार्रवाई करता है, या इसे फिर से रफा-दफा कर दिया जाएगा।
पूर्व में भी सन्हौला प्रखंड के प्रमुख द्वारा सीडीपीओ और सुपरवाइजर पर केंद्र से पैसा लेने का आरोप लगाया गया था, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।