अखिल भारतीय अंगिका साहित्य विकास समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर विधिवत उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन डाॅ. रमेश आत्मविश्वास, गौतम कुमार प्रीतम, कवि श्रवण बिहरी, डाॅ. के.के. चौधरी, व डाॅ. ब्रह्मदेव ब्रह्म ने संयुक्त रूप से किया।
अंगिकाँऽचल पत्रिका के अंगिका दिवस विशेषांक, विक्रमशिला एक संक्षिप्त परिचय एवं ज्योति और नाद की महिमा किताब का विमोचन मंचासिन अतिथियों द्वारा किया गया।
मौके पर कवि योगेन्द्र कर्मयोगी, कवयित्री अनुपम सिंह, मोहित चंद केशरी, सरयुग पंडित सौम्य, भोला कुमार बागवानी, रामानंद गुप्त, ने अपनी चर्चित कविता सुनाकर तालियाँ बटोरी।
द्वितीय सत्र में ध्वनि वैज्ञानिक, अंगिका के जनक भाषाविद डॉ. रमेश आत्मविश्वास ने मौजूद कवि-साहित्यकार व लोगों को अंगिका भाषा के लेखन व उच्चारण का विस्तृत प्रशिक्षण दिया।
तीसरे सत्र में मुंगेर से आए कवि कैलाश मंडल, डॉ विलक्षण विभूति, हास्य कवि उपेन्द्र प्रसाद शर्मा, कृपाला जी, महेन्द्र प्रसाद “निशाकर”, फुल कुमार अकेला, कवि विनय दर्शन, कवि कुमार गौरव, ने कविताओं से अंगिका को खुब सम्मान किया।
अंगिका दिवस समारोह के मुख्य अतिथि गौतम कुमार प्रीतम ने अंगिका के मूर्धन्य कवि भगवान प्रलय को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए कहा कि ‘अंगिका आब’ भाषा होय गेलऽ छऽय, आरू इ भाषा क’ समृद्ध करलऽक’य भारत के इकलौता ध्वनि विज्ञान स’ डी.लिट की उपाधि प्राप्तकर्ता डॉ.रमेश मोहन शर्मा ‘आत्मविश्वास’ जी न’। हमरा सब के बीच व्याकरण भी हिनीये देलक’य। अब’ अंगिका मजबूत होय गेल’य आठवीं सूचीबद्ध भी होबेऽ करतऽय।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ ब्रह्म ने कहा अंगिका क आगु बढ़ावय म’ सब मनिषि लगलऽ छैय त’ सफलता मिलवे करत’य।
अंत में शोध पत्रिका के प्रबंध-संपादक श्रवण बिहारी ने आगत अतिथि का धन्यवाद ज्ञापन किया।