सती बिहुला मंगलवार को अपने मायके पहुंच गयी. कोरोना काल के बाद स्थिति पूर्णरूपेण सामान्य नहीं होने के बाद भी लोग सोशल डिस्टैंस के बीच भी बिहुला के स्वागत में नवगछिया के लोगों ने कोई कसर नहीं छोड़ी. इस बार बिहुला के नवगछिया पहुंचने पर कोई धूम-धड़ाका तो नहीं हुआ, लेकिन लोगों की श्रद्धा और आस्था में कोई कमी नहीं आयी.
नवगछिया के दो मंदिरों में और डॉ राणा वाली गली में माता विषहरी की पांच बहनों के साथ बिहुला को ससम्मान के साथ सिंहासन पर बैठाया गया और वैदिक विधि विधान से पूजा की गई. विधिवत पूजा संपन्न होते ही नवगछिया वासियों ने विषहरी मंदिर रोड़ और डॉ राणा वाली गली में हो रहे पूजन समारोह में सोशल डिस्टैंस के साथ एक-एक कर दर्शन और पूजा-पाठ की.
हर वर्ष भक्ति जागरण का प्रोग्राम हर्षोल्लास के साथ किया जाता था लेकिन इस बार भक्ति जागरण का प्रोग्राम ऑनलाइन किया गया. पूजा स्थलों पर गंगाजल मिलाकर सैनिटाइजर तैयार किया गया है. जिसे हर एक भक्तों के हाथों में डाल कर पूजा करने की अनुमति दी जा रही है. मालूम हो कि बिहुला विषहरी लोक साहित्य में बिहुला का मायका नवगछिया के उझानी गांव में बताया गया है. इसी कारण वर्षों से लोगों को यही मान्यता है कि 17 अगस्त को सती बिहुला का नवगछिया आगमन होता है और यहां पर उन्हें उसी तरह सम्मान मिलता है, जैसे जब कोई बेटी अपनी ससुराल से मायके आती है.
क्लीन नवगछिया ग्रीन नवगछिया के अध्यक्ष चंद्रगुप्त शाह ने कहा कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में नवगछिया में बेला विषहरी पूजा में एक अलग तरह का स्नेह और वात्सल्य देखने को मिलता है. समाजसेवी पंकज कुमार भारती ने कहा कि नवगछिया में बिहुला को लोगों ने दिल में तो जगह दी है, लेकिन सरकारी और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण बिहुला आज भी उपेक्षित है.
सावित्री पब्लिक स्कूल के निर्देशक रामकुमार साहू ने कहा कि बिहुला के जन्मस्थान का जीर्णोद्धार कर उसे पर्यटन स्थल बनाए जाने की आवश्यकता है.
इधर, ठाकुरबाड़ी रोड में बिहुला विषहरी में मुख्य यजमान के रूप में मुकेश राणा और पार्षद चंपा कुमारी थे. पंडित शैलेश झा पूजा करा रहे थे. मौके पर बिमल किशोर पोद्दार, आयोजन कमेटी के सक्रिय अजय कुशवाहा , रमेश राय, राजू गुप्ता, कौशल जयसवाल, मनीष भगत, दीपक शर्मा ,अनीश यादव, आदि अन्य की भी भागीदारी देखी गयी.