भागलपुर/ निभाष मोदी
ठिठुरते ठंड में सभी मूलभूत सुविधाओं के साथ रह रहे वृद्धआश्रम में बुजुर्ग
भागलपुर,वह कहते हैं ना अपने तो अपने होते हैं लेकिन जब एक उम्र के बाद अपने साथ छोड़ देते हैं तो वृद्धा आश्रम ही बुजुर्गों का सहारा बन जाता है, बढ़ती हाड़ कपा देने वाली ठंड व ठिठुरन के बीच भागलपुर में चल रहे समाज कल्याण विभाग बिहार सरकार द्वारा प्रायोजित एवं उमंग बाल विकास दीघा घाट पटना द्वारा संचालित वृद्धाश्रम सहारा भागलपुर के वृद्धा आश्रम में रह रहे वृद्ध जनों का हाल हमारे संवाददाता निभाष मोदी ने जाना……
बुजुर्गों को जब परिवार की जरूरत पड़ती है तो छोड़ देते हैं संतान उन्हें अकेले
पाई पाई जोड़ कर अपनी संतान के लिए माता पिता एक घर बनाते हैं और जब माता-पिता बुजुर्ग हो जाते हैं तो वही संतान उन्हें घर से बेघर कर देते हैं फिर उनका सहारा सिर्फ वृद्धाश्रम हो जाता है, भागलपुर में तापमान काफी नीचे जा चुका है लोग घरों से नहीं निकल रहे ,उस उम्र में जब उन्हें सबसे ज्यादा बेटी बेटी पोते पोती की जरूरत रहती है ऐसे में उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है अनजान चेहरों के बीच रहना जहां उनके सामने सभी चेहरे नए होते हैं, उनके लिए इस उम्र में एक चुनौती का विषय बन जाता है।
बेटा बहू का ताना सुनकर अंतिम समय में वृद्ध आश्रम में बुजुर्ग बनाते हैं अपना ठिकाना
वृद्ध आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों की शिकायत ज्यादातर यही रहती है कि बेटे और बहू के ताने के कारण उन्हें घर छोड़ना पड़ता है या फिर जायदाद के चलते बेटे और बहू का मन बदल जाता है और आए दिन प्रताड़ित करना शुरू कर देता है जिससे वह अंतिम समय में वृद्धाश्रम में ही अपना ठिकाना बनाने को मजबूर हो जाते हैं लेकिन इस ठिठुरन भरी ठंड में भी अपने बुजुर्ग माता-पिता का याद नहीं आना यह बहुत बड़ा सवाल है।
मैं भूल गई अपनी पुरानी बातें, अब यही है मेरा परिवार और आशियाना
इस कपकपाती ठंड में जब सहारा वृद्ध आश्रम में रह रहे बुजुर्गों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बिना किसी तकलीफ के यहां पर रह रहे हैं बिल्कुल परिवार वाला माहौल है , इस कपकपाती ठंड में भी हम लोगों को सारी सुविधा दी गई है ,कंबल मच्छरदानी अखबार गर्म पानी चाय खाना के साथ-साथ टीवी और रूम हीटर भी है अब जहां धर है वही मेरा घर है वृद्धाश्रम में इन सभी की देखभाल करने वालों के बारे में बताया कि सभी मेरे बेटे जैसे हैं किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं है। मैं अपने पुरानी बातों को भूल गई हूं और यही मेरा परिवार है यही मेरा आशियाना है अब जीना भी यही है और मरना भी यही है।
आंखों से छलके आंसू, कहा- परिवार की याद कभी-कभी आती है
वृद्ध आश्रम में कई वर्षों से रह रही एक वृद्ध महिला ने छलकते आंसू के साथ कहा परिवार की याद तो आती है लेकिन अब बीते बातों को क्या याद करना जहां कुछ रहा ही नहीं जहां अपनी ही संतान हम लोगों को ठुकरा चुके हो उसे याद कर बीती बातों पर क्या रोना बस हम लोग सभी मिलजुल कर भगवान के भजन कीर्तन करते हैं और कट जाता है समय।
ठिठुरते ठंड में सहारा ने व्यवस्था की गर्म पानी, कंबल और रूम हीटर
इस ठिठुरते और कपकपाती ठंड में समाज कल्याण विभाग बिहार सरकार द्वारा चल रहे सहारा वृद्ध आश्रम भागलपुर में रह रहे बुजुर्गों के लिए गर्म पानी कंबल रूम हीटर के साथ-साथ अखबार टीवी समय-समय पर चाय की विशेष व्यवस्था दी है जिससे इन बुजुर्गों को ठंड में किसी तरह की कोई परेशानी ना हो और कोई बीमार ना हो इस पर विशेष ध्यान रखा गया है, इस खबर का जायजा लिया हमारे संवाददाता निभाष मोदी ने।