एक वर्ष पूर्व हीं करोड़ों की लागत से दियारा के गंगा किनारे करवाया गया था कटाव निरोधी कार्य। बाढ़ आते हीं पानी में बहा करोड़ों का कटाव निरोधी कार्य।
प्रखंड क्षेत्र के तीनटंगा दियारा दक्षिण पंचायत में हो रहे भीषण कटाव से ग्रामीणों के बीच दहशत का माहौल छा गया है। लोगों का अपनी उपजाऊ जमीन और मवेशियों का बासा कटते देख कलेजा कट रहा है। लोग कटाव के दृश्य को देखकर अपने सामान और छोटे छोटे बच्चों को अपने रिश्तेदारों के यहाँ भेज रहें है। अपने मवेशियों को लेकर लोग अन्य जगहों पर जा रहें है या औने पौने दामों में बेचने को विवश है।
यहीं नहीं कटाव से कम दूरी पर बसे सैकड़ो परिवारों के घरों में चूल्हे तक नहीं चल पा रहे हैं लिहाजा तीन टंगा दियारा के 2 पंचायतों की एक बड़ी आबादी कटाव के मुहाने पर भय के साए में रात बिताने को मजबूर है। बताते चलें कि
बीते एक सप्ताह से लगभग 10 से 20 फीट के दायरे में कटाव हो रहा है। जिसका असर लोगों के घर, बासा और उनके उपजाऊ जमीन पर दिखने लगा है।
अपनी जमीन हाथों से फिसलते देख लोग छाती पीट रहे हैं बेबसी का आलम यह है कि लाख कोशिशों के बावजूद भी कटाव नहीं रुक पा रहा है।
अगर इसी तरह कटाव जारी रहा तो तिनटंगा दियारा के दो पंचायतों के आधे दर्जन गाँव जल्द ही गंगा में समा जाएंगे। जिससे उपजाऊ जमीन कट जाने से दियारा वासियों के सामने आर्थिक विपन्नता की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
साथ ही 5 हजार परिवार भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे। परिणामतः इस्माइलपुर और सैदपुर की तरह ही तीनटंगा दियारा के लोग विस्थापन का शिकार होकर दर-दर भटकने को मजबूर हो जाएंगे। बताते चलें कि एक वर्ष पूर्व हीं करोड़ों की लागत से दियारा के गंगा किनारे कटाव निरोधी कार्य करवाया गया था। जो बाढ़ आते हीं गंगा की भेंट चढ़ गई।
लिहाजा करोड़ों का कटाव निरोधी कार्य 1 वर्ष भी बाढ़ के दबाव को नहीं झेल पाया।
वहीं दूसरी तरफ कटाव की सूचना पर पहुंचे जल संसाधन विभाग के स्कूटी इंजीनियर अनिल कुमार नए कटाव की स्थिति को देखते हुए जिओ बैग और बंबू रोल डलवाने का काम कर रहे हैं परंतु विभाग की यह मशक्कत ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है जबकि ग्रामीणों का कहना है कि जब तक बोल्डर पीचिंग का काम कथा स्थल पर नहीं किया जाएगा तो कटाव को रोक पाना संभव नहीं है।
क्या कहते हैं ग्रामीण……………
पूर्व मुखिया मनोज रजक, परशुराम मंडल, त्रिवेणी मंडल ने कहां की कटाव की स्थिति को देखते हुए हम दियारावासी भविष्य की चिंता कर खून के आंसू बहाने को मजबूर हैं।
भाजपा नेता राजकुमार रजक ने कहा कि जो पैसे वाले लोग हैं वह तो कहीं भी जाकर बस सकते हैं, परंतु जो गरीब और मजदूर हैं अगर उनके जमीन और घर कट जाते हैं तो उनके पास रहने को और जीवन गुजारा करने का कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
वर्तमान मुखिया भोला मंडल, पूर्व मुखिया गणेश प्रसाद मंडल ने बताया कि यह कटाव हम दियारा वासियों के लिए किसी कयामत से कम नहीं है। हम लोग पूरे प्रयास में लगे हुए हैं कि सरकारी स्तर पर कटाव विरोधी कार्य करवा कर लोगों की उपजाऊ जमीन को बचाया जा सके।
सामाजिक कार्यकर्ता विनोद मंडल,आईटी सेल संयोजक कन्हैया कुमार, पिंटू चौधरी, दिलीप कुमार, राजीव कुमार निराला ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द कटाव स्थल पर मजबूत कटाव निरोधी कार्य कराया जाए, सिर्फ बंबू रोल डाल देने से कटाव रुक नहीं सकता है।