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अर्जुन कॉलेज ऑफ नर्सिंग नवगछिया के प्रांगण में आयोजित आर्ट ऑफ लिविंग के ध्यान-योग शिविर के चौथे दिन स्वामी परमतेज महाराज ने पिछले तीन दिनों में किए गए योगाभ्यास को दोहराया. भस्त्रिका एवं ऊज्जयी सांसों की प्रक्रिया को स्वयं करवाने का अभ्यास कराया. स्वामी ने खेल-खेल में सिंहासन, भुजंगासन, मत्स्यासन, शलभासन, उष्ट्रासन, गरुड़ासन, मकरासन, मयूरासन आदि भी करवाये.

उन्होंने बताया कि कतिपय भावनाएं जैसे मोह-माया,क्रोध, उद्दंडता, कामवासना, ईर्ष्या, लोभ आदि हमें जकड़ लेती है. एक प्रभावशाली प्रयोग के माध्यम से इन कुत्सित भावनाओं से मुक्ति पाने का तरीका बताया. उन्होंने कहा कि जीवन में मानसिक तनाव की अनुभूति स्वभाविक है. तत्पश्चात आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री रविशंकर द्वारा स्थापित विश्व विख्यात सुदर्शन क्रिया का भी अभ्यास कराया. स्वामी ने सुदर्शन क्रिया के महत्व को बताते हुए कहा यह मन में संचित सभी कुत्सित विचारों को खाली कर देती है.

शरीर की सभी कोशिकाएं जागृत एवं सक्रिय हो जातीं हैं.
प्रतिभागियों ने पिछले 2 दिन में सुदर्शन क्रिया के लाभ को साझा करते हुए बताया कि उनकी अनिद्रा की समस्या दूर होने लगी है, उनके उच्च रक्तचाप की समस्या में आश्चर्यजनक सुधार हुआ है. शिविर में भागलपुर नवगछिया के प्रशासनिक एवं पुलिस पदाधिकारी, मुखिया, जनप्रतिनिधि, अर्जुन कॉलेज के प्राध्यापक एवं गैर शिक्षक शैक्षणिक पदाधिकारी, छात्र-छात्राएं आदि शामिल हुए.

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