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आत्मा अजर अमर है, शरीर नाशवान होता है। पाप मन से किया जाता है। शरीर से नहीं यह बात नवगछिया के बोरवा खगड़ा गांव में चल रहे श्री श्री 1008 महाविष्णु यज्ञ व श्रीमद् भागवत कथा महायज्ञ के मौके पर संत नारायण दास महाराज धर्माचार्य ने कही। उन्होंने कहा कि शरीर नाशवान होता है। आत्मा में ही परमात्मा का वास है। इसलिए मानव को अपनी जीवात्मा के तहत ही ऐसा कार्य करना चाहिए जो मरणोपरांत उसका याद आता है। देश का हर व्यक्ति योगी है और हर रूप में मौजूद है।

उन्होंने कहा कि जब हनुमान जी को स्वर्ग ब्रह्मलोक जाने की बात कही गई तो उन्होंने पूछा कि क्या वहां पर संकीर्तन कार्यक्रम होता है। तो उनको कहा गया कि नहीं भागवत होती है तो नहीं तो उन्होंने कहा कि हम इसी पृथ्वी पर रहेंगे जहां पर राम कथा भागवत कथा अमर कथा होता हो हम वही पर बात करेंगे उन्होंने कहा कि भागवत ही ऐसी कथा है जिससे व्यक्ति अपने जीवन पर विजय पा सकता है।

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