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भागलपुर: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब पहली बार बीपीएससी से बहाल शिक्षकों को गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र बांटा। उस वक्त गांधी मैदान में मौजूद हजारों बीपीएससी से बहाल शिक्षकों ने हाथ उठाकर और चिल्लाकर केके पाठक का समर्थन किया। नीतीश कुमार ने उस दौरान केके पाठक की तारीफ भी की। उसके बाद बीपीएससी से बहाल शिक्षकों को लेकर कुछ विवाद भी पैदा हुए। राजनीतिक दलों ने सवाल उठाया कि बहाली में गड़बड़ी हुई है। खुद केके पाठक (KK Pathak) ने शिक्षकों के सत्यापन को कड़े तरीके से लागू किया। कई जगहों से फर्जी शिक्षकों के सामने आने की बात निकली। उसके अलावा कई जगहों पर सत्यापन के दौरान शिक्षक फरार हो गए। मुजफ्फरपुर, औरंगाबाद सहित कई जिलों से ऐसी खबरें आईं। उसके बाद दूसरे चरण की बहाली भी केके पाठक की देखरेख में हुई। अब दूसरे चरण की बहाली के बाद बहाल हुए शिक्षकों का सत्यापन होना है। उसे लेकर कुछ नियमों में बदलाव की बात सामने आ रही है।

दूसरे चरण के शिक्षक
भागलपुर में दूसरे चरण में बहाल बिहार लोक सेवा आयोग से चयनित शिक्षकों की ओर से जमा किये गए कागजातों की वैज्ञानिक तरीके से जांच होगी। जिन शिक्षकों ने ऑनलाइन कागज जमा किए हैं। उनकी भी जांच होगी। उसके अलावा ऑफलाइन कागजातों पर ज्यादा ध्यान रहेगा। उनका सत्यापन भी किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने पहले और दूसरे चरण में भागलपुर में नियुक्त हुए पांच हजार 467 शिक्षकों के कागजों का सत्यापन करेगा। विभाग की मानें, तो तरीके में बदलाव किया गया है। सबसे पहले 5,467 शिक्षकों के कागजातों की जांच की जाएगी। उसके बाद उनकी सत्यता को परखा जाएगा। संभव होगा तो संबंधित टीचर से बातचीत होगी। उसके अलावा कागजातों में जिस स्कूल और बोर्ड का जिक्र होगा, वहां से भी पता लगाया जाएगा। विभाग के इस फैसले से हजारों शिक्षक तनाव में हैं। शिक्षकों का कहना है कि नौकरी करते हुए समय हो गया। उसके बाद भी अभी तक जांच प्रक्रिया जारी है।

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी का बयान

भागलपुर के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना देवनारायण पंडित की ओर से मीडिया में ये बात बताई गई कि बीपीएससी के प्रथम चरण की हुई परीक्षा में जिले के 3,503 शिक्षक और दूसरे चरण में कुल 1964 शिक्षकों का चयन हुआ है। ये शिक्षक अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। इन शिक्षकों की ओर से शिक्षा विभाग के वेबसाइट पर अपने प्रमाण पत्रों को अपलोड किया गया था। पदाधिकारी के मुताबिक अपलोड के बाद अब विभाग उन प्रमाण पत्रों की जांच के लिए नया तरीका अपनाने जा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि इसका मिलान अब बिहार बोर्ड के अलावा अन्य संस्थानों की वेबसाइट के जरिए और भौतिक रूप से भी सत्यापन का काम किया जाएगा। विभाग ये पूरी तरह पता लगाएगा कि जो प्रमाण पत्र विभाग को सौंपे गए हैं, वो सही हैं कि नहीं। उसके अलावा उससे संबंधित सारी जानकारी विभाग अपने पास रखेगा। कोई भी गड़बड़ी पाए जाने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

ऑनलाइन किया जाएगा मिलान

पदाधिकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग युद्ध स्तर पर इस काम को करने में जुटा हुआ है। सबसे पहले बिहार बोर्ड से जिले में मौजूद शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच की जाएगी। उसके अलावा अन्य राज्यों से बहाल हुए शिक्षकों के कागजात की भी जांच होगी।य़ इसके लिए शिक्षकों को आना जरूरी नहीं है। विभाग अपने स्तर से पहले इसकी जांच करेगा। उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि शिक्षा विभाग के कर्मचारी प्रखंडवार शिक्षकों की सूची को ब्लॉक से लेंगे। उसे अपने पास रखेंगे। उसके बाद उनकी ओर से जमा किए गए प्रमाण पत्र और विभाग की साइट पर अपलोड किए सर्टिफिकेट का मिलान किया जाएगा। प्रमाण पत्रों का ऑनलाइन वेरिफिकेशन किया जाएगा। उसके बाद यदि कोई भी एक सर्टिफिकेट का मिलान नहीं होता है, तो उसे अन वेरीफाई कर दिया जाएगा। इस प्रकार शिक्षा विभाग अब शिक्षकों को बिना अपने पास बुलाए उनके प्रमाण पत्रों की जांच करेगा। उसके अलावा उनकी नियुक्ति पर फाइनल मुहर लगाएगा।

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