भागलपुर: बालू घाटों के काले खेल में कई बड़े कुख्यात अपराधी भी शामिल हैं। ये इलाके में अपनी दबंगई से बालू का अवैध उठाव कराते हैं। इसमें कई कुख्यात ऐसे हैं जो वर्षों से फरार हैं। जगदीशपुर के रूपौली गांव का स्थायी वारंटी रविंद्र सिंह इसमें मुख्य है।
वह हड़वा से निकलने वाले बालू के ट्रैक्टरों से रंगदारी वसूलता है। प्रति ट्रैक्टर तीन से पांच सौ रुपये की रंगदारी वसूली जाती है। वहां के खेतों से बालू पारस व राहुल की निगरानी में निकलती है। प्रति टै्रक्टर दो हजार रुपये वसूले जाते हैं। खुदाई के बाद ट्रैक्टर फतेहपुर होकर जगदीशपुर मेन रोड होते हुए अलग अलग हिस्से में पहुंचते हैं।
आसपास लोग भी हैं इस खेल में शामिल
बालू के अवैध खनन में दर्जनों लोग शामिल हैं। जो बालू के उठाव से लेकर उसे बेचने तक के खेल में शामिल हैं। हड़वा से बालू के अवैध खनन में आसपास के सनम, संतोष, सुजीत, राजा, कुमोद, गोपाल आदि की भूमिका संदिग्ध है। वे लोग दिन रात इलाके में अपने लोगों के साथ मौजूद रहते हैं। बालू उठाव होते ही वे लोग सक्रिय हो जाते हैं। इन सभी लोगों को फरार कुख्यात रविंद्र सिंह का संरक्षण प्राप्त है। यदि बालू के अवैध उगाही में किसी तरह का विवाद हो जाए जो कुख्यात के लोग तुरंत हथियार के साथ दबंगई दिखने पहुंच जाते हैं।
पुलिस रिकार्ड में फरार है रविंद्र
रविंद्र सिंह पुलिस की रिकार्ड में भले ही फरार हो। उसके घर की पुलिस ने कुर्की-जब्ती तक कर ली है। बावजूद गांव में वे बेहिचक घूमता है। घर बैठे ही उसे बालू वाहनों से रंगदारी का रूपये आता है। जिससे उसकी अवैध कमाई होती है। उसके गुर्गे भी इलाके में इस कारण सक्रिय रहते हैं। वे लोग रात को हथियार से लैस रहते हैं, ताकि किसी भी परिस्थिति से निपट सकें। कई बार उन जगहों पर गोलीबारी भी हुई है, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी है। उन स्थानों पर हथियारबंद बदमाशों का सिक्का चलता है।
सरकारी जमीन से ही हो रहा खनन
अवैध खनन के फेर में माफिया ने सरकारी जमीन को भी नहीं छोड़ा है। कई फीट जमीन खोद डाली है। खनन विभाग की टीम की भी इस पर नजर नहीं है। इन इलाकों में बालू उठाव की जानकारी पुलिस को होती भी है, लेकिन खनन विभाग द्वारा रुचि नहीं लेने के कारण वे लोग भी चुप रहते हैं। सूत्रों की मानें तो प्रति ट्रैक्टर दो हजार रुपये की वसूली में संबंधित विभाग के कुछ लोगों की भी हिस्सेदारी होती है। जो समय से उन तक पहुंच जाती है। इस कारण माफिया के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती है।