भागलपुर: बाल श्रम आज हमारे देश की ज्वलंत समस्याओं में से एक है। बाल श्रमिक हमारी व्यवस्था, समाज और संवेदना की नकारात्मक, शोषणवादी मानसिकता का ही मूर्त रूप हैं। बाल श्रम न केवल बच्चों का बचपन छीनता है, बल्कि उन्हें गरीबी और अन्याय की जंजीरों में भी जकड़ता है। इसी गंभीर मुद्दे को लेकर आज भागलपुर के एक निजी स्कूल में एनसीपीसीआर (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) के तत्वाधान में बाल श्रमिकों पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम में बांका के डीएम अंशुल सिंह सहित कई पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। डीएम अंशुल सिंह ने इस अवसर पर चाइल्ड सेन्सेटाइजेशन फॉर चाइल्ड राइट्स पर जोर दिया और बताया कि बाल श्रम को समाप्त करने के लिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जो बच्चे गलत संगति के कारण बिगड़ रहे हैं, उन्हें सही मार्गदर्शन देकर एक अच्छे जीवन की ओर ले जाना चाहिए।
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष संजय कुमार ने बाल श्रम के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके उन्मूलन के लिए सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि बाल श्रम से पीड़ित बच्चों को इन योजनाओं से जोड़कर उनके हितों की रक्षा की जा सकती है। संजय कुमार ने यह भी बताया कि बाल मजदूरी और शोषण की निरंतर मौजूदगी से देश की अर्थव्यवस्था को खतरा होता है और इसके बच्चों पर गंभीर अल्पकालीन और दीर्घकालीन दुष्परिणाम होते हैं, जैसे शिक्षा से वंचित रहना और शारीरिक व मानसिक विकास का बाधित होना। उन्होंने बाल तस्करी की समस्या पर भी प्रकाश डाला, जो बाल मजदूरी से जुड़ी है और बच्चों का शोषण करती है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि यदि हम किसी का बचपन लौटा नहीं सकते, तो हमें किसी का बचपन छीनने का कोई अधिकार नहीं है। कार्यक्रम ने समाज को बाल श्रम के खिलाफ एकजुट होने और बच्चों को उनके अधिकार दिलाने के लिए प्रेरित किया।