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बांका – बांका में अमरपुर प्रखंड के भदरिया गांव में मिला अवशेष राजगीर के समानांतर है। हो ना हो जल्द ही यह क्षेत्र बौद्व सर्किट में भी शामिल हो सकता है। जानकारी के अनुसार यहां मिले अवशेष 2600 वर्ष पुराना है। वहीं आज इन अवशेषों को देखने और खुदाई स्थल का मुआयना करने सीएम नीतिश बांका के भदरिया गांव पहुंचे। सीएम अपने निर्धारित समय से कुछ समय पहले ही पहुंच गए। वहीं सीएम के आते ही उन्हें जिला पुलिस बल और होम गार्ड के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया।

सीएम के साथ में जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी मौजूद थे। जबकि सीएम के आगमन के पूर्व उनके स्वागत के लिए प्रमंडलीय आयुक्‍त वंदना किन्नी, जिलाधिकारी सुहर्ष भगत के अलावा कई अधिकारी मौजूद थे।


वहीं सीएम बिना देर किए मुख्य‍मंत्री चांदन नदी में मिले अवशेष को देखने पहुंचे। उन्‍होंने स्थल पर पर मौजूद अवशेष का जायजा लिया। अवशेषों का निरीक्षण करने के दौरान सीएम नीतिश कुमार ने कहा कि 1995 से पहले यहां नदी की जो धारा थी, उसे अब स्थांतरित करने की आवश्यकता हो गई है। सीएम की मानें तो जल्द ही मौजूदा स्थिति में परिवर्तन होगा और नदी कि इस धारा को परिवर्तित किया जाएगा। सीएम ने कहा कि ऐसा होने के बाद इस स्‍थल को सुरक्षित कर लिया जाएगा। पुरातत्व विभाग द्वारा अच्‍छी तरह से इसकी खुदाई भी की जा सकेगी।

सीएम नीतीश के आगमन के बाद ग्रामीणों को भरोसा हो गया कि अब यह क्षेत्र ऐतिहसिक स्‍थल राजगीर की तरह पर्यटन स्‍थल के रूप में विकसित होगा। वहीं इसके पश्चात अब इस क्षेत्र का चौमुखी विकास होगा यहां के लोग भी खुशहाल होंगे। वहीं मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार शुक्रवार को ही अमरपुर प्रखंड के भदरिया गांव आने वाले थे। लेकिन उस दिन मौसम के खराब रहने के कारण वह नहीं आ पाए थे।

पुरातात्विक साक्ष्य का अवलोकन करने जब सूबे के सीएम नीतीश कुमार पहुंचे तो निश्चित रूप से क्षेत्र के लोगों में एक नहीं उम्मीद जगी है। इसमें दो मत नहीं कि काल के प्रवाह में भूगोल का स्वरूप भी पूरी तरह से बदल गया है। यही कारण है कि इतिहास में दर्ज बातें भी अटकलों में शुमार हो जाती है। हालंकि इसका कोई भौगोलिक साक्ष्य मौजूद नहीं है।

लेकिन जब इतिहास के कब्रिस्तान में दफ्न कोई भौगोलिक साक्ष्य अचानक कब्र से बाहर आ कर चीख – चीख कर इतिहास की दुहाई देने लगता है तब न तो किसी को कोई संदेह होती है और ना ही इसकी कोई गुंजाइश शेष बच जाती है। कई लोगों का यह भी मानना है कि यहां मिले अवशेष अंगदेश के नगर महासेठ मेण्डक के भवन का हो सकता है। वहीं एक ऐसा गांव भदरिया बौद्धकालीन भद्दीय से जुड़े अतीत की ओर प्रदर्शित करता है।

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