नवगछिया : बसंत पंचमी के पावन अवसर पर एक दिवसीय ओशो ध्यान शिविर का आयोजन नगर परिषद के समीप पंकज पोद्दार के निजावास में किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन स्वामी आनंद देव के मार्गदर्शन और स्वामी अंतर राजेश के संचालन में हुआ। शिविर में ओशो के अनुयायी और ध्यान के इच्छुक लोगों की बड़ी संख्या ने भाग लिया, और ओशो की ध्यान विधियों के बारे में गहन जानकारी प्राप्त की।
शिविर में ओशो की प्रसिद्ध ध्यान विधियाँ जैसे कुंडलिनी ध्यान, ब्रह्म नाद, नृत्य ध्यान, ओशो प्रवचन, ओशो गुरु वंदना और भजन आदि का आयोजन किया गया। इन ध्यान विधियों के माध्यम से उपस्थित लोग ओशो के ध्यान और शिक्षाओं का अनुभव कर आनंदित हुए। स्वामी आनंद देव ने इस अवसर पर कहा, “ध्यान का असल मतलब है अपने जीवन को ही ध्यान में बदल लेना। ओशो ध्यान विधि में, शरीर के तनाव को दूर किया जाता है और मन को एकाग्र किया जाता है।”
स्वामी आनंद देव और अन्य प्रमुख ओशो साधकों ने ध्यान के महत्व पर विशेष जोर दिया और बताया कि ओशो के दृष्टिकोण के अनुसार, ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति को अपने असली अस्तित्व से जोड़ती है। ओशो का यह मानना था कि शांति और संतुलन की प्राप्ति केवल विचारों के नियंत्रण से नहीं, बल्कि भीतर की ऊर्जा के साथ गहरी साधना से होती है।
इस शिविर में ओशो के जीवन और उनके योगदान पर भी चर्चा की गई। ओशो का जन्म 11 दिसंबर 1931 को मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा गांव में हुआ था। उनका असली नाम रजनीश चंद्र मोहन जैन था, लेकिन बाद में वे ओशो के नाम से प्रसिद्ध हुए। ओशो ने जीवन के हर पहलू पर गहरी सोच और नए दृष्टिकोण से विचार किया, जिसके कारण वे दुनियाभर में एक महान गुरु और ध्यान शिक्षक के रूप में माने गए। ओशो के विचार आज भी लाखों लोगों को मार्गदर्शन दे रहे हैं।
इस कार्यक्रम में मां नंदनी, स्वामी ज्ञाननंद, स्वामी प्रेमी प्रफुल, स्वामी ध्यान नीरज, ओशो प्रीति, विशाल, नीतीश, आनंद, जसवंत देव, परिणीता, रवि, अंजलि सुधा, शिवम् अंश समेत कई ओशो अनुयायी उपस्थित रहे। आयोजकों ने इस तरह के शिविरों के आयोजन को ओशो के विचारों और ध्यान विधियों को फैलाने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया, ताकि लोग आंतरिक शांति, मानसिक संतुलन और तनाव मुक्ति प्राप्त कर सकें।
स्वामी अंतर राजेश, स्वामी अंतर्मन, स्वामी अद्वैत भारती, स्वामी ज्ञाननंद, स्वामी प्रेम निशांग, स्वामी वित आकाश, संदेशवाहक
माँ अंकुर, माँ स्वरूपा, माँ सरिता, माँ हास्या, माँ रामवती
, स्वामी आनंद गौतम, स्वामी आनंद देव कदवा, राजेश जायसवाल, औजल माहेश्वरी प्रिंस आदि उपस्थित थे ।